क) मानव जीवन की प्राथमिक अवस्था क्या है?
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हर मनुष्य संसार में चार अवस्थाओं के द्वारा अपना जीवन व्यतीत करता है। ये हैं जागृत, स्वप्न, सुसुप्ति व तुरीय।
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मानव जीवन की प्राथमिक अवस्था जागृत अवस्था है।
- मनुष्य इस संसार में चार अवस्थाओं में जीवन यापन करता है , ये अवस्थाएं है
- जागृत अवस्था
- स्वप्न अवस्था
- सुसुप्ति अवस्था
- तुरिय अवस्था।
- जागृत अवस्था हमारे सभी कष्टों की सूत्रधार है।हमारा मन जागृत अवस्था के प्रभाव में ही चलता रहता है। बालपन सबसे कोमल व निर्मल होता है , मन में किसी के लिए ईर्ष्या व द्वेष नहीं होता। जैसे ही मनुष्य बड़ा होने लगता है बुरे कर्म करना आरंभ कर देता है।
- हमारी इन्द्रियों के द्वारा संसार के अनुभव हमारे चेतन मन को प्रभावित करते है।यदि हम निर्मल दृष्टि व निर्मल विचार रखते है तो हमारा मन मैला नहीं होता।
- यदि मनुष्य सादगी में जीयें व मन को निर्मल रखे तो सभी प्रकार के दुष्कर्मों से बचा रह सकता है ।
- हमें समाज में व्याप्त बुराइयों से बचना चाहिए व अन्याय , भ्रष्टाचार व पतन से बचना चाहिए , ऐसी स्थिति में भगवान हमारी मदद करता है।
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