कुमार गंधर्व ने लता जी की गायकी के किन दोषों का उल्लेख किया है?
Answers
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उत्तर:-
कुमार गंधर्व का मानना है कि लता जी की गायकी में करुण रस विशेष प्रभावशाली रीति से व्यक्त नहीं होता। उन्होंने करुण रस के साथ उतना न्याय नहीं किया। बजाय इसके मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति वाले गीत बड़ी उत्कटता से गाए हैं।
- दूसरी बात यह है कि लता ज्यादातर ऊँची पट्टी में ही गाती हैं जो चिलवाने जैसा लगता है। आगे लेखक ने दोनों ही दोषों को निर्देशकों पर डालकर लता जी को दोषमुक्त कर दिया है।
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Answer:
Explanation:
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✔✔लता के पहले प्रसिद्ध नूरजहां का चित्रपट संगीत में अपना जमाना था. परंतु उसी क्षेत्र में बाद में आयी हुई लता उससे कहीं आगे निकल गयी.
✔✔कोकिला का निरंतर स्वर कानों में पडने लगे तो कोइ भी सुनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा. यह स्वाभाविक ही है. चित्रपट संगीत के कारण सुंदर स्वर-मालिकाएं लोगों के कानों मे पड रही हैं. संगीत के विविध प्रकारों से उनका परिचय हो रहा है. उनका स्वर ज्ञान बढ रहा है ।
✔✔इन सबका श्रेय लता को ही है । इस प्रकार उसने नयी पीढी के संगीत को संस्कारित किया है और सामान्य मनुष्य में संगीत विषयक अभिरुचि पैदा करने में बडा हाथ बंटाया है. संगीत की लोकप्रियता, उसका प्रसार और अभिरुचि के विकास का श्रेय लता को ही देना पडेगा.
✔✔सामान्य श्रोता को अगर आज लता की ध्वनि-मुद्रिका और शास्त्रीय गायकी की ध्वनि-मुद्रिका सुनाई जाए तो वह लता की ध्वनि-मुद्रिका ही पसंद करेगा |
✔✔ लता ज्यादातर ऊँची पट्टी में ही गाती हैं जो चिलवाने जैसा लगता है। आगे लेखक ने दोनों ही दोषों को निर्देशकों पर डालकर लता जी को दोषमुक्त कर दिया है।
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