कृमि संक्रमण रोकने के लिए हमें क्या उपाय करना चाहिए।
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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के पहले चरण के शुक्रवार को न्यू लाइफ मॉडल स्कूल में नर्सरी से 5वीं तक के बच्चों को हेडमास्टर आरके कुमार ने एल्बेंडाजोल की खुराक दी। इसके पूर्व उन्होंने सभी बच्चों को कृमि संक्रमण से ग्रसित रोगी के लक्षण बताकर इससे शरीर पर पड़ने वाले कुप्रभावों की जानकारी देते बचाव के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि पेट के कीड़े एक विश्वव्यापी जन स्वास्थ्य समस्या है। बच्चों में कीड़ों के संक्रमण से बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास तथा पोषण और हीमोग्लोबिन स्तर पर भी खराब असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि बच्चों में चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, पेट में हमेशा दर्द रहना, एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में ध्यान न लगना, शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना ये सभी पेट में कृमि होने के प्रमुख लक्षण हैं। नंगे पैर खेलना व घूमना, हाथ को साबुन से अच्छी तरह धोए बिना भोजन करना, खुले में शौच करना और शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से न धोना, फल व सब्जियां बिना धोए खाना तथा बिना ढंके भोजन को खाना ये सभी कृमि से संक्रमित होने के प्रमुख कारण हैं। शिक्षिका अस्मिता नायक ने छात्रों
कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय...
- खाना खाने से पहले हमेशा स्वच्छ एवं साफ पानी तथा साबुन आदि से हाथ धोने के बाद ही खाना खायें।
- साफ सफाई का का कार्य करने के बाद या शौच आदि से निवृत्त होने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोयें।
- फलों और सब्जियों को खाने-पकाने से पहले पानी से अच्छी तरह धो लें।
- हमेशा साफ और फिल्टर किया हुआ पानी पियें। यदि फिल्टर करने की व्यवस्था ना हो तो पानी को उबालकर पीयें।
- पैरों को ज्यादातर खुला ना रखें और बाहर जाते समय जूते पहनें।
- अपने हाथ पैरों के नाखूनों को सदैव साफ और छोटे बनाकर रखें।
- किसी भी खुली जगह में शौच करने से बचें और शौचालय का उपयोग करें।
- अपने घर के आस-पास चारों तरफ साफ सफाई का वातावरण रखें और नियमित रूप से घर की सफाई करते रहें।
- कोई भी खाने की चीज छूने और खाने से पहले हाथ धोकर ही उसे छुये और खायें।