क) मिठाई वाला के व्यक्तित्व का वर्णन अपने शब्दों में करें ? class 7 NCERT hindi.
चैप्टर 5
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Explanation:
भगवतीप्रसाद वाजपेयी
पाठ –परिचय
मिठाईवाला कहानी एक बहुत ही मार्मिक कहानी है। जिसमें मिठाई बेचने वाला व्यक्ति बच्चों के खुशियों के लिए मिठाई , खिलौने, बंसी सब कुछ सस्ते में बेचता है जिसे सभी बच्चे खुशी-खुशी खरीद लेते हैं। बच्चों के माता-पिता मिठाईवाले के इतने सस्ते दाम पर चीजें बेचने पर हैरान होते हैं। कई लोग तो कोसते भी है कि वह सबको लूटता है।
वास्तव में मिठाई वाला अपनी हानि करके ही सबकुछ सस्ते में लूटा देता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह अपने बीवी और बच्चे को खो चुका था। बच्चों को चीजें सस्ती दाम पर बेचकर वह उनके चेहरे पर आई खुशियों से खुश होता था। वह अपने बच्चे की कमी को महसूस करता था और हर बच्चे में अपने बच्चे को ढूंढता था। वह गाना गाकर, बंसी बजाकर खिलौना और मिठाई बेचता था इसलिए सभी बच्चे उसके आने को समझ जाते थे और बारी-बारी से चीज़े खरीदते थे। सभी बच्चे उससे उसके बच्चे की तरह प्रेम करते थे।
पाठ का सार
मिठाईवाला 30-40 वर्ष का दुबला-पतला गोरा आदमी है जो कभी धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति था। बीकानेरी साफा बाँधता था । उसके पास मकान, व्यवसाय, गाड़ी, घोड़े, नौकर-चाकर सब कुछ था। स्त्री बहुत सुंदर थी । बच्चे सोने के सजीव खिलौने की तरह थे। विधाता की लीला, सब कुछ समाप्त हो गया।
मिठाईवाला अपने उन्हीं बच्चों की खोज में निकला। उसने सोचा आखिर कहीं ना कहीं तो वे जन्मे ही होंगे। अब वह तरह-तरह की चीजें बेचकर सुख व संतोष का अनुभव करता था। खिलौनेवाला मीठे स्वर में बच्चों को आकर्षित करता है। उसकी मधुर वाणी सुनकर निकट के मकानों में हलचल-सी मच जाती है। छोटे-छोटे बच्चों को गोद में उठाकर स्त्रियाँ छज्जों पर से नीचे झाँकने लगती। खिलौनेवाला बच्चों की इच्छानुसार उन्हें खिलौने देता। खिलौने देकर बच्चे उछलते-कूदते गाने लगते ।
राय विजय बहादुर के बच्चे भी खिलौनेवाले से खिलौने लेकर आए । उन्होंने दो पैसे में खिलौने खरीदे। बच्चों की माता रोहिणी को आश्चर्य हुआ कि खिलौनेवाला इतने सस्ते खिलौने कैसे दे गया।
6 महीने बाद वही व्यक्ति मुरली बेचने आया। वह मुरली बजाकर गाना सुनाकर मुरली बेचने लगा। रोहिणी ने मुरली वाले का स्वर सुना जिसे सुनकर उसे खिलौने वाले का स्मरण हो गया क्योंकि वह भी इसी प्रकार गा-गाकर खिलौने बेचा करता था। उसने अपने पति विजय बहादुर से मुरली वाले को बुलाने का आग्रह किया। विजय बाबू ने मुरली वाले को बुलाया और मुरली के दाम पूछे। मुरली वाले ने बताया कि वैसे तो तीन-तीन पैसे के हिसाब से है पर आपको दो-दो पैसे में ही दे दूँगा। विजय बाबू को वह ठग-सा प्रतीत हुआ। उन्होंने कहा कि तुम लोगों को झूठ बोलने की आदत होती है, पर कम में बेचने का एहसान दूसरों पर लादते रहते हो।
मुरली वाले को विजय बाबू की यह बात अच्छी ना लगी। उसने बताया कि मुरली का असली दाम तीन-तीन पैसे ही है। उसने पूरी 1000 बनवाई थी इसलिए उसे इसी भाव की पड़ी है। विजय बाबू बहस नहीं करना चाहते थे मकान में बैठी रोहिणी ने मुरलीवाले की सारी बातें सुनी। उसने अनुभव किया कि आज तक बच्चों के साथ इतने प्यार से बातें करने वाला कोई फेरीवाला नहीं आया।
8 महीने बाद उसे पुनः सुनाई पड़ा, “बच्चों को बहलाने वाला, मिठाई वाला” । रोहिणी को लगा कि मिठाई वाले का स्वर परिचित है। उसके पति घर में नहीं थे। केवल वृद्धा दादी ही थी। उसने दादी से आग्रह किया कि मिठाईवाले को बुला ले। बच्चों के लिए मिठाई खरीदनी है। दादी ने मिठाईवाले को बुला लिया। मिठाईवाले ने मिठाई की विशेषताएँ गिनवाई।
दादी पैसे की 25 लेना चाहती थी, मगर मिठाईवाला पैसे की 16 से अधिक नहीं देना चाहता था। रोहिणी चार पैसों की मिठाइयाँ लेना चाहती थी। रोहिणी ने दादी के माध्यम से ही उससे पूछा कि क्या वह इससे पूर्व भी शहर में कभी आया है। मिठाई वाले ने बताया कि वह इससे पूर्व खिलौने और मुरली बेचने आ चुका है।
रोहिणी के पूछने पर कि उसे व्यवसाय में क्या मिलता है? मिठाई वाले ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसे अपने व्यवसाय में असीम सुख, संतोष एवं धीरज मिलता है। उसे लगता है कि उसके बच्चे इन्हीं बच्चों में हँस खेल रहे हैं। उसे पैसे की कमी नहीं है। जो उसके पास नहीं है, वह बच्चों की झलक से पा लेता है। रोहिणी ने देखा कि मिठाईवाले की आँखें आँसुओं से तर है। तभी चुन्नू-मुन्नू आ गए। वह मिठाई लेने की जिद करने लगे। मिठाईवाले ने दो थैलियाँ मिठाइयों से भरी चुन्नू मुन्नू को दे दी और उनके पैसे नहीं लिए। इसी तरह वह बच्चों को बहलाने वाला मिठाईवाला इत्यादि मृदुल से बोलते हुए आगे चला गया ।
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