Hindi, asked by Manishdhameja8458, 10 months ago

(क) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है तथा आपके मन में इससे ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं के प्रति कैसी धारणा बनती है ? बताइए I
(ख) 'सपनों के - से दिन' नामक पाठ में पी. टी. सर की किन चारित्रिक गुणों का उल्लेख किया गया है ? मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में उल्लेखित युक्तियों के संबंध में अपने विचारों को व्यक्त कीजिए I

Answers

Answered by shishir303
39

(क)

महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के लोभी और मक्कार चरित्र को उजागर करता है। किसी मठ का महंत अर्थात मंदिर का पुजारी। किसी मंदिर के पुजारी या अन्य किसी भी धार्मिक स्थान के प्रमुख से सदाचरण की अपेक्षा की जाती है। जब दिन-रात ईश्वर की पूजा में लगे रहने वाला व्यक्ति और ऐसे पवित्र स्थान का प्रमुख ही ऐसा निकृष्ट व्यवहार करेगा तो आम जनता से कैसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा की जा सकती है। धार्मिक स्थान के महंत मंदिर के पुजारी या किसी भी धार्मिक स्थान के प्रमुख श्रद्धा की नजर से देखे जाते हैं और उनसे सदाचरण की अपेक्षा की जाती है।

आजकल के ज्यादातर धार्मिक स्थानों के साथ भी यही समस्या है। आज के समय में ठाकुरबारी जैसे अनेक धार्मिक स्थान है, जिन पर ऐसे ही लोभी और मक्कार प्रवृत्ति के लोगों ने कब्जा कर रखा है, जो पाखंड और दिखावा करके भोली-भाली जनता को ठगते हैं।

(ख)

‘सपनों के से दिन’ पाठ में पीटी सर प्रीतम चंद के निम्न चारित्रिक गुणों का उल्लेख किया गया है।

पीटी सर प्रीतमचंद दिखने में दुबले-पतले और नाटे कद के थे। उनकी आँखें भूरे रंग की थीं। वेशभूषा के रूप मेंहमेशा खाकी वर्दी और लंबे जूते पहनते थे। वे बहुत अनुशासन प्रिय शिक्षक थे और छात्रों को गलती करने पर हमेशा कठोर दंड देते थे। वे स्वभाव से अत्यंत कठोर थे और बच्चों के प्रति उनके मन में दया का भाव बिल्कुल भी ना था। छात्रों के बाल खींचना, उनकी ठुड्डी पर मारना और उनके गाल खींचना पीटी  सर की आदतों में शुमार था। हालांकि वे स्वाभिमानी भी थे जब प्रधानाचार्य ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया तो उन्होंने प्रधानाचार्य की खुशामद नहीं की और चुपचाप चले गए। वे पढ़ाने में कुशल थे और बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाते थे, लेकिन बच्चों के प्रति कठोर व्यवहार भी करते थे।

इस पाठ में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को जो कठोर दंड दिए जाते थे और उनका उत्साह बढ़ाने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती थी। वह वर्तमान समय में लागू नहीं होती। आजकल के परिवेश में शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को मारना पीटना बिल्कुल भी मंजूर नहीं किया जाता। बच्चों के मनोविज्ञान को समझने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि बच्चों की भावनाओं को समझें और उनके साथ प्रेम भरा एवं विनम्र व्यवहार करें। उनको शारीरिक रूप से दंड देने की बजाये उन्हें उनकी गलती का एहसास कराएं।

Answered by dishapendharetjis10c
5

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Explanation:

(क)

महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के लोभी और मक्कार चरित्र को उजागर करता है। किसी मठ का महंत अर्थात मंदिर का पुजारी। किसी मंदिर के पुजारी या अन्य किसी भी धार्मिक स्थान के प्रमुख से सदाचरण की अपेक्षा की जाती है। जब दिन-रात ईश्वर की पूजा में लगे रहने वाला व्यक्ति और ऐसे पवित्र स्थान का प्रमुख ही ऐसा निकृष्ट व्यवहार करेगा तो आम जनता से कैसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा की जा सकती है। धार्मिक स्थान के महंत मंदिर के पुजारी या किसी भी धार्मिक स्थान के प्रमुख श्रद्धा की नजर से देखे जाते हैं और उनसे सदाचरण की अपेक्षा की जाती है।

आजकल के ज्यादातर धार्मिक स्थानों के साथ भी यही समस्या है। आज के समय में ठाकुरबारी जैसे अनेक धार्मिक स्थान है, जिन पर ऐसे ही लोभी और मक्कार प्रवृत्ति के लोगों ने कब्जा कर रखा है, जो पाखंड और दिखावा करके भोली-भाली जनता को ठगते हैं।

(ख)

‘सपनों के से दिन’ पाठ में पीटी सर प्रीतम चंद के निम्न चारित्रिक गुणों का उल्लेख किया गया है।

पीटी सर प्रीतमचंद दिखने में दुबले-पतले और नाटे कद के थे। उनकी आँखें भूरे रंग की थीं। वेशभूषा के रूप मेंहमेशा खाकी वर्दी और लंबे जूते पहनते थे। वे बहुत अनुशासन प्रिय शिक्षक थे और छात्रों को गलती करने पर हमेशा कठोर दंड देते थे। वे स्वभाव से अत्यंत कठोर थे और बच्चों के प्रति उनके मन में दया का भाव बिल्कुल भी ना था। छात्रों के बाल खींचना, उनकी ठुड्डी पर मारना और उनके गाल खींचना पीटी  सर की आदतों में शुमार था। हालांकि वे स्वाभिमानी भी थे जब प्रधानाचार्य ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया तो उन्होंने प्रधानाचार्य की खुशामद नहीं की और चुपचाप चले गए। वे पढ़ाने में कुशल थे और बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाते थे, लेकिन बच्चों के प्रति कठोर व्यवहार भी करते थे।

इस पाठ में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को जो कठोर दंड दिए जाते थे और उनका उत्साह बढ़ाने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती थी। वह वर्तमान समय में लागू नहीं होती। आजकल के परिवेश में शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को मारना पीटना बिल्कुल भी मंजूर नहीं किया जाता। बच्चों के मनोविज्ञान को समझने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि बच्चों की भावनाओं को समझें और उनके साथ प्रेम भरा एवं विनम्र व्यवहार करें। उनको शारीरिक रूप से दंड देने की बजाये उन्हें उनकी गलती का एहसास कराएं।

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