क) महादेवी वर्मा की कविता में 'दीपक' और 'प्रियतम' किनके प्रतीक हैं?
ख) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर पर्वत के रूप-स्वरूप का चित्रण कीजिए।
ग) बिहारी ने 'जगतु तपोवन सौ कियौ' क्यों कहा है?
Answers
Answer
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर: इस कविता में दीपक स्वयं का प्रतीक है और प्रियतम उस लक्ष्य का जिसतक कोई मनुष्य पहुँचना चाहता है।
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
उत्तर: दीपक से इस बात का आग्रह किया जा रहा है कि वह हर पल और हर दिन जलता रहे। यहाँ पर जलने की प्रक्रिया को हम अपने कर्मों की तरह देख सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन कर्म करना पड़ता है। एक पुरानी कहावत है कि कोई भी बड़ा काम एक ही दिन में नहीं होता बल्कि उसमें वर्षों लग जाते हैं।
‘विश्व शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर: पतंगा दीपक के साथ इसलिए जल जाना चाहता है कि वह दीपक में समा जाए। यहाँ पर दीपक का मतलब है ईश्वर।
क) दीपक कवियत्री के मन की आस्था का प्रतीक है और प्रियतम कवियत्री के आराध्य परमात्मा का प्रतीक है| कवियत्री अपने आस्था रुपी दीपक को सदैव प्रज्जवलित रहने को कह रही है ताकि परमात्मा अर्थात प्रियतम के समीप जाने का पथ हमेशा आलोकित रहे |
(ख) मेखलाकार पर्वत अर्थात पर्वत करघनी के आकर का है जिसके चरणों में एक पारदर्शी दर्पण रुपी ताल है| पर्वत अपना महाकार प्रतिबिम्ब ताल में अपने सहस्त्र रुपी सुमनो से निहार कर अचंभित हो रहा है| मोती की मालाओं के सामान सुन्दर झरने कल-कल की ध्वनि कर पर्वत के गुणगान गाते हुए प्रतीत होती है| वर्षा होने पर पर्वत बादलों से घिर जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे पंख लगा कर उड़ गया हो |
(ग) तपोबन अर्थात जहाँ तपस्वी तपस्या करते हैं| बिहारी जी ने इस जगत को तपोबन कहा है क्यूंकि इस जग में गर्मी के कारण दुश्मन भी एक साथ रह कर इस गर्मी से अपनी रक्षा करने के लिए प्रथासरत है| यहाँ भी प्राणी गर्मी से बचने के लिए कठोर तपस्या कर रहे हैं इसलिए यह जगत एक तपोबन है |