Hindi, asked by Lastking613, 20 days ago

क) महत्वाकांक्षा और लोभ पाठ के आधार पर कृतज्ञता असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।​

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Answered by shishir303
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¿ महत्वाकांक्षा और लोभ पाठ के आधार पर कृतज्ञता, असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।​

 

✎... ‘कृतज्ञता व लोभ’ पाठ में लेखक के अनुसार कृतज्ञता एक तरह का दैवीय गुण है। जिसने हमारी मदद की है, हमें उसके प्रति हमेशा कृतज्ञ होना चाहिए और उसका उपकार मानना चाहिए।

लेखक के अनुसार अक्सर बहुत लोग ऐसे होते हैं, जो जरूरत पड़ने पर मीठी-मीठी बातों द्वारा अपना कार्य तो पूरा करवा लेते हैं लेकिन अपना मतलब सीधा होने के बाद वह मुँह फेर लेते हैं। यह एक तरह की कृतघ्नता है और कृतघ्न व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता। कृतघ्न व्यक्ति हमेशा अपने मदद करने वालों के विषय में बुरा ही सोचता है। लेखक के अनुसार अपने उपकार करने वाले व्यक्ति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए कृतघ्न नही।

लेखक के अनुसार मानव का दूसरा सबसे बड़ा अवगुण असंतोष है। जो व्यक्ति असंतोषी स्वभाव का है, वह कभी सुखी नहीं रह पाता। पहले के समय में मानव की जरूरतें सीमित थी और वह कम जरूरतों में ही संतोष कर लेता था, लेकिन आज के मानव की प्रवृत्ति लोभी हो गई है। उसे जितना मिल जाए उतना कम लगता है। और अधिक पाने की चाह में उसके पास जो कुछ है वह उसका पूरा आनंद नहीं ले पाता।  

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