क- मनुष्य अन्य बहुत-सी बातें भूल जाता है, किंतु दूर रह कर भी माँ के स्नेह को नहीं भुला पाता है । संन्यासी
फ़ादर बुल्के भी अपनी माँ को नहीं भूल पाते हैं। उनकी भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
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Explanation:
बेल्जियम में इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में पहुंचकर उन्होंने सन्यासी होने का मन बना लिया और दीक्षा लेकर भारत आ गए। लेकिन अपनी जन्मभूमि और मां को बहुत याद करते थे। लेखक बताते हैं कि वे अक्सर अपनी मां की स्मृति में डूब जाते थे। उन्हें अपनी मां की बहुत याद आती थी। मां की चिट्टियां उनके पास आती, जिसे वे अपने अभिन्न मित्र डॉक्टर रघुवंश को दिखाते थे। पिता और भाइयों के लिए उनके मन में लगाव नहीं था। इस बात से हमें पता चलता है कि फादर बुल्के अपनी मां से अधिक स्नेह करते थे |दूर रहकर भी वे अपनी मां को भुला नहीं पाते।
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Answer:
लेखक फ़ादर के बारे में बताता है कि वे अकसर माँ की स्मृति में डूब जाते थे। उनकी माँ की चिट्ठियाँ अकसर उनके पास आती थीं। वे अपने अभिन्न मित्र डॉ० रघुवंश को चिट्ठियाँ दिखाते थे। पिता और भाइयों के लिए उनके मन में बहुत लगाव नहीं था। वे भारत में बस जाने के बाद भी अपनी मातृभूमि और माँ को नहीं भूल पाए थे। अतः स्पष्ट vec vec 6 कि फ़ादार बुल्के जैसे संन्यासी का लंबे समय तक माँ से अलग रहकर माँ को न भुला पाना स्पष्ट करता है कि उनके अंदर माँ के प्रति जो स्नेह था, वह स्नेह की पराकाष्ठा है ।