(क) मनुष्य के पतन का कारण अपने ही भीतर के
བཅས་པ་ས་ལ་བབས་པ་ का ह्रास होता है।
(ख) ईर्ष्या मनुष्य के
गुणों को ही कुंठित बना डालती है।
(ग) तुम्हारी निंदा वही करेगा, जिसकी तुमने
की है।
(घ) ये
हमें सज़ा देती हैं, हमारे गुणों के लिए।
(ङ) आदमी में जो गुण
समझे जाते हैं, उन्हीं के चलते लोग उससे जलते भी हैं।
Answers
Answered by
2
i am not able to understand
Similar questions