कामय का भहत्तत्तव औय उसकी स ॊदयता उसके सभम ऩय सॊऩाददत ककए जाने ऩय ही है। अत्तमॊत
स घड़ता से ककमा ह आ कामय बी मदद आवश्मकता के ऩूवय न ऩूया हो सके तो उसका ककमा जाना
ननष्पर ही होगा। चिडड़मों द्वाया खेत िग लरए जाने ऩय मदद यखवारा उसकी स यऺा की
व्मवस्था कये तो सवयत्र उऩहास का ऩात्र ही फनेगा। उसके देय से ककए गए उद्मभ का कोई भूल्म
नहीॊ होगा। श्रभ का गौयव तबी हैजफ उसका राब ककसी को लभर सके । इसी कायण मदद फादरों
द्वाया फयसामा गमा जर कृषक की फ़सर को परने-पूरने भें भदद नहीॊ कय सकता तो उसका
फयसना व्मथय ही है। अवसय का सदऩ मोग न कयने वारे व्मक्तत को इसी कायण ऩश्िाताऩ कयना
ऩड़ता है।
(क) जीिन में समय का मित्तत्ति क्यों िै?
(i) सभम काभ के लरए प्रेयणा देता है।
(ii) सभम की ऩयवाह रोग नहीॊ कयते।
(iii) सभम ऩय ककमा गमा काभ सपर होता है।
(iv) सभम फड़ा ही फरवान है।
(ख) खेत का रखिाऱा उपिास का पाि क्यों बनता िै?
(i) खेत भें ऩौधे नहीॊ उगते।
(ii) सभम ऩय खेत की यखवारी नहीॊ कयता।
(iii) चिडड़मों का इॊतजाय कयता यहता है।
(iv) खेत ऩय भौजूद नहीॊ यहता।
(ग) श्रम का गौरि तभी िैजब-
(i) उसका राब ककसी को न लभर सके ।
(ii) उसका राब ककसी को लभर सके ।
(iii) भजदय का ऩसीना ननकरे ू ।
(iv) भजदयू का ऩसीना न ननकरे ।
(घ) बादऱ का बरसना व्यर्य िै, यहद-
(i) गयभी शाॊत न हो।
(ii) फ़सर को राब न ऩह ॉि।े
(iii) ककसान प्रसन्न न हो।
(iv) नदी-ताराफ न बय जाएॉ।
(ङ) गद्याांश का मुख्य भाि क्या िै?
(i) फादर का फयसना
(ii) चिडड़मों द्वाया खेत का िग ना
(iii) ककसान का ऩछतावा कयना
(iv) सभम का सदऩ मोग
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muze pata nahi koi hain
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