(क) निबंध के दो प्रधान अंग कौन कौन से हैं?
(ख) मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नहीं जाती है।
उचित तर्कों एवं उदाहरणों के जरिए पुष्टि करें।
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(क) निबंध के दो प्रधान अंग कौन-कौन से हैं?
➲ निबंध के दो प्रधान अंग प्रस्तावना और उपसंहार हैं। मुख्यतः किसी निबंध के के तीन प्रधान अंग होते हैं, प्रस्तावना, मुख्य भाग और उपसंहार।
प्रस्तावना के माध्यम से निबंधकार अपने निबंध के विषय में एक भूमिका बनाता है, और स्पष्ट करता है कि वो किस विषय पर क्या कहना चाहता है। मुख्य भाग में निबंधकार उस निबंध से सबंधित पूरा विवेचन एव विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अंतिम भाग उपसंहार में निबंधकार किसी निबंध के विषय से संबंधित किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है, और सुझाव या समाधान प्रस्तुत करता है।
(ख) मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नही जाती है, उचित तर्कों एवं उदाहरणों के जरिए पुष्टि करें।
➲ मानचित्र पर एक लकीर खींच लेने पर से जमीन और जनता बंट नहीं जाती है, क्योंकि जो लकीर खींची जाती है, वह केवल मानचित्र पर खींची जाती है, जमीन पर खींची जाती हैं, लोगों के दिलों पर नहीं। लोगों के दिल एवं भावनाएं लकीरों को नहीं मानते हैं। उनके अंदर तो बस प्रेम और अपनापन व्याप्त रहता है।
‘नमक’ कहानी में बीवीजी, पाकिस्तान के कस्टमर अफसर तथा अमृतसर के कस्टम अफसर के बीच के संबंध इस बात का उदाहरण हैं। वे उन जगहों को अपना ही मानते हैं, जहाँ वह वर्तमान समय में नहीं रहते, क्योंकि उन्हें बंटवारे के कारण उन जगहों को छोड़ना पड़ा, लेकिन उनका दिल वहीं पर बसता था, जहाँ उनका जन्म हुआ, जहाँ वे पले-बढ़े।
बीवी जी भले ही वर्तमान समय में भारत में थी, लेकिन उनका दिल पाकिस्तान के लाहौर में बसता था, क्योंकि उनका जन्म वहीं पर हुआ था, वहीं पर वह पली-बढ़ी। इसलिए वह मानचित्र पर खींची गई लकीरों को नहीं मानती। वह आज भी भारत और पाकिस्तान को एक समझती हैं। पाकिस्तान में मिलने वाले लाहौरी नमक को आज भी याद करती हैं।
इसी तरह पाकिस्तान के कस्टमर अफसर पाकिस्तान में भले ही रह रहे थे, लेकिन उनका दिल दिल्ली में बसता था, क्योंकि वह दिल्ली में जन्मे और बढ़े। भारत पाकिस्तान के बंटवारे ने भले ही यहां के कई निवासियों को इधर-उधर कर दिया लेकिन उनका दिल अपनी जन्म स्थान में ही बसा रहा। अमृतसर के कस्टमर अफसर के लिए उनका असली वतन ढाका था भले ही उन्हें बंटवारे के कारण उन्हें भारत आना पड़ा।
इन सब बातों से पता चलता है कि भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच खींची गई लकीरें लोगों के दिलों को नहीं बांट पाई।
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