किन्ही पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग 500 शब्दो प्रत्यकके उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न 20 अंक का है।सत्रीय कार्य कोड एएसएसटारपूर्णाक: 100ब्दिो (प्रत्येक) में दीजिए। प्रत्येक भाग से कम से कम दो प्रश्नोंभाग -1राष्ट्राय सबध के अध्ययन के लिए किसी दो दष्टिकोण की व्याख्या कीजिए।अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में नारीवादी दृष्टिकोण का परीक्षण कीजिए।परणाय सकट के संबंध में अन्तर्राष्ट्रीय तर्क-वितर्क का समीक्षात्मक परीक्षण कीजिए।अतर्राष्ट्रीय संबंध में एक उभरती शक्ति के रूप में चीन की भूमिका का परीक्षण करें।युद्धोपरांत काल में अन्तर्राष्ट्रीय संबंध के बदलते स्वभाव को समझायें।भाग - IIनिम्नलिखित पर लगभग 250 शब्दों (प्रत्येक) में उत्तर दीजिए:क) क्षेत्रवाद के सैद्धान्तिक दृष्टिकोणअन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादवैश्विक निगमवाद की मुख्य विशेषताएँख) मानवाधिकार का अन्तर्राष्ट्रीयकरणउत्तर-दक्षिण विभाजनमध्य-अमेरिका गणराज्यों का उदयस्वदेशी आंदोलनों के प्रमुख मुद्देख) अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय और सभ्यता आंदोलनद्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत अन्तर्राष्ट्रीय संगठनख) अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में न्याय की अवधारणा
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वैसे कमाल के लोग रहे होंगे, जिन्होंने हमारे संविधान (कानून) को जन्म दिया? आप गौर करिए तो पता चलेगा, देश का कानून खुद अजीबो-गरीब स्थिति पैदा करता है, कई मुद्दों पर अपनी ही बात को अगले किसी पन्ने में काट देता है।
सबसे पहला और बड़ा भेद समझ लीजिए
संविधान कहता है कि भारत एक धर्मनरपेक्ष देश है, इसका सरल भाषा में अर्थ होता है, किसी तरह के धार्मिक या जातिगत भेदभाव को ना मानने वाला देश। फिर वही संविधान मौलिक अधिकार में कहता है,इसका सरल भाषा में अर्थ होता है, कोई भी किसी भी तरह के धार्मिक और जातिगत चोले को जितना चाहे ओढ़ सकता है, उसको कोई कानून रोक नहीं सकता है।
फिर वही संविधान उन्हीं लोगों को अपने धार्मिक, जातिगत बातों को मानने, उन्हें पूजने, उन्हें उत्सव मानने की आज़ादी भी देता है।
दूसरा बड़ा भेद देखिए, संविधान कहता है,फिर वही संविधान उन्हीं लोगों को अपने धार्मिक, जातिगत बातों को मानने, उन्हें पूजने, उन्हें उत्सव मानने की आज़ादी भी देता है।
यह दो भेद मात्र मैंने बताए हैं, ऐसे आपको बहुत सारे भेद मिल जाएंगे। अब सवाल यह है, क्या संविधान निर्माताओं को यह पता था कि इस देश में जातिगत भेदभाव मिटाया नहीं जा सकता है? दरअसल, धर्मवाद और जातिवाद के कारण अंदरुनी विद्रोह सदियों से भारत देखता आ रहा था, उसे भी सत्ता को दबाना था, इसलिए बीच का रास्ता निकाल लिया गया, जिससे सभी तरह के लोग खुश हो जाए
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