कोने कोने में कौन सा अलंकार है
Answers
प्रश्न :- कोने कोने में कौन सा अलंकार है ?
उतर :- कोने कोने में अनुप्रास अलंकार है l
व्याख्या :-
- किसी वाक्य या काव्य को सुंदर बनाने के लिए जब किसी वर्ण की बार बार आवृति हो तो वहां अनुप्रास अलंकार होता है l बार बार आने वाले शब्दों का अर्थ समान होता है l
- जैसे :- रघुपति राघव राजा राम । यहां पर ‘र’ वर्ण की बार बार आवृति हुई है l
- अनुप्रास अलंकार के 5 भेद होते है l
अत, हम कह सकते है कि कोने कोने में अनुप्रास अलंकार है l
याद रखिए :- जब किसी काव्य में एक ही शब्द में से कई अर्थ निकलते हों तब वहां पर अनुप्रास अलंकार की जगह पर श्लेष अलंकार होता है। और जहां एक शब्द की दो बार आवृति हुई है एवं दोनों बार शब्द का अर्थ अलग हो वहां पर यमक अलंकार होता है l
यह भी देखें :-
'पतन पाप पाखंड जले' पंक्ति में कौन सा अलंकार है ?
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¿ कोने कोने में कौन सा अलंकार है ?
➲ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
‘कोने कोने’ में दोनो शब्द की लगातार दो बार आवृत्ति हुई है, जिनका अर्थ भी समान है, इसलिये यहाँ पर ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार हुआ।
✎... ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार में किसी शब्द की लगातार दो बार आवृत्ति होती है। दोनों बार शब्द का अर्थ समान ही होता है। काव्य की उस पंक्ति को वजनदार बनाने के लिये किसी समान अर्थ वाले शब्द को लगातार दो बार प्रयुक्त किया जाता है।
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार और अनुप्रास अलंकार में अंतर ये है कि अनुप्रास अलंकार में समान वर्ण की आवृत्ति काव्य में कहीं भी एक से अधिक बार होती है, अथवा समान शब्द की आवृत्ति काव्य मे कहीं एक से अधिक बार होती है, जबकि पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार में समान शब्द की आवृत्ति लगातार होती है।
‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार में पुनरुक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बनता है, पुनः + उक्ति। यानि शब्दो का दोहराव। पुनरुक्ति अलंकार में जब किसी काव्य में कोई शब्द लगातार दो बार दोहराया जाता है। जब किसी काव्य में प्रभाव लाने के लिए शब्दों को दोहराया जाता है तो वहां ‘पुनरुक्ति अलंकार’ की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण के लिए...
धीरे धीरे याद आती है उनकी मुझे वह मधुर पल सुहाने सपनों की
कण-कण में बसा है ईश्वर
थल-थल में बसता है शिव
पुनि-पुनि मोहि देखाब कुठारु
ललित-ललित काले घुंघराले।
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