कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में,
देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर अपने समय में,
और
तू
कर यत्न भी तो मिल नहीं सकती सफलता,
ये उदय होते, लिए कुछ ध्येय नयनों के निलय में,
किंतु जग के पंथ पर यदि स्वप्न दो तो सत्य दो सौ,
स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो सत्य का भी ज्ञान कर ले।
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Explanation:
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता,
मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता,
काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त,
फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
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