कौन कहता है कि सपनों को ना आने दे हृदय में देखते सब है इन्हें अपनी उम्र अपने समय में और तू कर यत्न भी तो मिल नहीं सकती सफलता ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नैनो के निलय में किंतु जग के पंथ पर यदि स स्वप्न दो तो सत्य दो सौ स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो सत्य का भी ज्ञान कर ले पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर इसका अर्थ
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कविता कोश के इस संकलन में वे रचनाएँ हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं। इन्हें हमनें स्कूल की किताबों में पढ़ा है या फिर इन्हें अखबारों, पत्रिकाओं टीवी, रेडियो, सभाओं, समारोहों इत्यादि में अक्सर दोहराया जाता है। इस संकलन में और रचनाओं का जोड़ा जाना निरंतर जारी है।
"प्रसिद्ध रचना"
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