(क) निम्नलिखित काव्यांश पढ़कर रस पहचानकर लिखिए :
(i) कहत, नटत, रीझत, खिझत
मिलत, खिलत, लजियात
भरे भवन में करत हैं।
नैननि ही सौं बात ।।
(ii) एक ओर अजगरहिं लखि एक ओर मृगराय ।।
विकल बटोही बीच ही, पर्यो मूरछा खाय ।।
(iii) एक मित्र बोले “लाला तुम किस चक्की का खाते हो ?
इतने महँगे राशन में भी, तुम तोंद बढ़ाए जाते हो ।”
(ख) वीर रस का स्थायी भाव क्या है ?
Answers
I) sanyog Shringar ras
II) bhayanak ras
III) hasya ras
IV) utsah
Answer:
(i).सखी कह रही है कि नायक अपनी आँखों के इशारे से कुछ कहता है अर्थात् रति की प्रार्थना करता है, किंतु नायिका उसके रति विषयक निवेदन को अस्वीकार कर देती है। वस्तुतः उसका अस्वीकार स्वीकार का ही वाचक है तभी तो नायक नायिका के निषेध पर भी रीझ जाता है।
(ii) एक और अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय। विक्रल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय। पंक्ति में भयानक रस है।
(iii) श्रृंगार रस (Shringar Ras) में नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस के अवस्था में पहुंच जाता है तो वह श्रृंगार रस (Shringar Ras) कहलाता है।
Explanation:
जब नायिका देखती है कि नायक इतना कामासक्त या प्रेमासक्त है कि उसके निषेध पर भी रीझ रहा है तो उसे खीझ उत्पन्न होती है। ध्यान रहे, नायिका की यह खीझ भी बनावटी है। यदि ऐसी न होती तो पुनः दोनों के नेत्र परस्पर कैसे मिलते? दोनों के नेत्रों का मिलना परस्पर रति भाव को बढ़ाता है। फलतः दोनों ही प्रसन्नता से खिल उठते हैं, किंतु लज्जित भी होते हैं। उनके लज्जित होने का कारण यही है कि वे यह सब अर्थात् प्रेम-विषयक विविध चेष्टाएँ भरे भवन में अनेक सामाजिकों की भीड़ में करते हैं।
भयानक रस की परिभाषा अनुसार– जब किसी भयानक वस्तु या जीवन को देखकर भावी दु:ख की आशंका से हृदय में जो भाव उत्पन्न होता है उसे 'भय' कहते हैं। जब भय नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभव और संचारी भावों के संयोग से जो रस निष्पत्ति होती है, उसे भयानक रस कहते है। सामान्य हिंदी के अन्तर्गत रस संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। जो आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड., आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी होते है।
एक मित्र बोले “लाला तुम किस चक्की का खाते हो? इतने महँगे राशन में भी तुम तोंद बढ़ाए जाते हो।” (घ) वीर रस का स्थायी भाव क्या है? (क) श्रृंगार रस।
श्रृंगार रस (Shringar Ras) में नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस के अवस्था में पहुंच जाता है तो वह श्रृंगार रस (Shringar Ras) कहलाता है। इसके अंतर्गत वसंत ऋतु, सौंदर्य, प्रकृति, सुंदर वन, पक्षियों श्रृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार ऋतु तथा प्रकृति का वर्णन भी किया जाता है।
श्रृंगार रस के उदाहरण : Shringar ras ke udaharan
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माही । गावति गीत सबै मिलि सुन्दरि बेद जुवा जुरि विप्र पढ़ाही।। राम को रूप निहारित जानकि कंकन के नग की परछाही । यातें सबै भूलि गई कर टेकि रही, पल टारत नाहीं।