(३) (क) निम्नलिखित काव्यपंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। तू जो चाहे पर्वत पहाडो को फोड दे, तू जो चाहे नदियों के मुख कोभी मोड दे, तू जो चाहे माटीसे अमृत निचोड दे, 1 तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड दे, अमर तेरे प्राण मिला तुझको वरदान तेरी आत्मा मे स्वयं भगवान है रे।
Answers
धरती की शान तू भारत की संतान
तेरी मुठ्ठियों में बंद तूफ़ान है रे
मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत
मनुष्य तू बड़ा महान है। । २
तू जो चाहे पर्वत पहाड़ों को फोड़ दे
तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे
तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड़ दे
अमर तेरे प्राण….२ मिला तुझको वरदान
तेरी आत्मा में स्वयम भगवान् है रे। ।
…..मनुष्य तू बड़ा महान है
नयनो से ज्वाला तेरी गति में भूचाल
तेरी छाती में छुपा महाकाल है
पृथ्वी के लाल तेरा हिमगिरि सा भाल
तेरी भृकुटि में तांडव का ताल है
निज को तू जान —२ जरा शक्ति को पहचान
तेरी वाणी में युग का आह्वान हे रे। ।
….मनुष्य तू बड़ा महान है
धरती सा धीर तू है अग्नि सा वीर
तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले
पापों का प्रलय रुके पशुता का शीश झुके
तू जो अगर हिम्मत से काम ले
गुरु सा मतिमान –२ पवन सा तू गतिमान
तेरी नभ से ऊँची उड़ान है रे। ।
मनुष्य तू बड़ा महान है रे। ।