Hindi, asked by Missmanu2612, 9 months ago

क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. गोपियों की कौन-सी बात उनके मन मे रह गई?

2. गोपियों ने अपनी तुलना की है और क्यों ?

3. गोपियाँ 'हारिल की लकरी' किसे कहती है और क्यों?

4. "जिनके मन चकरी' का आशय स्पष्ट कीजिए।

5 संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।

6. उद्धव और गोपियों में किसके जीवन को भाग्यशाली कहा जा सकता है। अपने विचार प्रकट कीजिए।

7. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया ?

8. गोपियों को जी कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए, जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात
कहती है?

9. गोपियों के वाकचातुर्य की विशेषताएं लिखिए।

10 उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है? पद के आधार पर लिखिए।

11 गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए।

12. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगें को देने की बात कही है ?

13. गोपियाँ उद्धव को बड़भागी क्यों कहती हैं ?



PLZ GIVE ACCURATE ANSWER
CLASS 10TH CBSE QUESTION.

Answers

Answered by shishir303
3

एक साथ सभी प्रश्नों का उत्तर देना संभव नही है, चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...

1. गोपियों की कौन-सी बात उनके मन मे रह गई?

►  गोपियां श्री कृष्ण को अपने हृदय की पीड़ा सुनाना चाहती थी, लेकिन उद्धव के मुख से ज्ञान के संदेश को सुनकर उनकी पीड़ा उनके मन में ही रह गई और वह अपनी पीड़ा नहीं सुना पाई।

3. गोपियाँ 'हारिल की लकरी' किसे कहती है और क्यों?

►गोपियां हारिल की लकड़ी श्री कृष्ण को कहती हैं, क्योंकि आज एक पक्षी होता है जो अपने पंजे में किसी लकड़ी को पकड़े रहता है और किसी कीमत पर उसे छोड़ना नहीं चाहता, उसी तरह गोपियों ने भी श्री कृष्ण को अपने हृदय में मजबूती से पकड़ रखा है और वे श्रीकृष्ण को छोड़ने को तैयार नहीं।

4. "जिनके मन चकरी' का आशय स्पष्ट कीजिए।

►  जिसके मन चकरी के माध्यम से गोपियां श्री कृष्ण और उद्धव दोनों पर व्यंग करती हैं। इन पंक्तियों में गोपियों द्वारा श्री कृष्ण के प्रति व्यंग छुपा हुआ है। गोपियां उद्धव से कहती हैं, आप जो हमें योग और ज्ञान का उपदेश दे रहे हो, हमारा मन स्थिर करने के लिए बोल रहे हो जबकि यह ज्ञान आपको उन लोगों को देना चाहिये जिनका मन चंचल है, जिनका मन भटका हुआ हैस हमारा मन तो श्री कृष्ण के प्रेम में स्थिर है। उनका आशय श्री कृष्ण पर कटाक्ष करना है, क्योंकि कल तक जो श्री कृष्ण उन्हें प्रेम करते थे अब वह किसी और से प्रेम करने लगे हैं।

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