कोन सी कोशिका पाचक रस की थैली कहलाती है
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मानव के पाचन तंत्र में एक आहार-नाल और सहयोगी ग्रंथियाँ (यकृत, अग्न्याशय आदि
आहार-नाल, मुखगुहा, ग्रसनी, ग्रसिका, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय और मलद्वार से बनी होती है। the सहायक पाचन ग्रंथियों में लार ग्रंथि, यकृत, पित्ताशय और अग्नाशय हैं।
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'लाइसोसोम' कोशिका पाचक रस की थैली कहलाती है
Explanation:
'लाइसोसोम' कोशिका पाचक रस की थैली कहलाती है
लाइसोसोम क्या हैं
जन्तु कोशिका के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोल-गोल थैलीनुमा अंगाणुओं को लयनकाय (लाइसोसोम) कहते हैं। यह अन्तः कोशिकाय पाचन में मदद करता है।
लाइसोसोम=> क्रिश्चियन डी डूवे ने सर्वप्रथम सन् 1955 में लाइसोसोम की खोज की। ये गोलाकार काय होते हैं, जिनके व्यास 0.4u-0.8u तक होता है। ये इकहरी युनिट मेम्ब्रेन से बने होते हैं तथा इनके अन्दर सघन मैट्रिक्स भरा रहता है, जिसमें ऐसिड फास्फेटेज एन्जाइम भरे रहते हैं।
- न्यूक्लियेजेस - ये नाभिकीय अम्लों का नाइट्रोजनी क्षार , फास्फेट तथा शर्करा में जल - अपघटन करते हैं।
- फास्फेटेजेस - ये फास्फेट यौगिकों का जल - अपघटन करते हैं।
- प्रोटियेजेस - ये प्रोटीन्स का अमीनो का अम्लों में जल अपघटन करते हैं।
- ग्लाइकोसाइडेजेस - ये जटिल कार्बोहाइड्रेट्स का मोनोसैकेराइड्स में जल अपघटन करते हैं।
- सल्फेटेजेस - ये सल्फेट यौगिकों का जल अपघटन करते हैं।
- लाइपेजेस - ये लिपिड अणुओं का ग्लिसरॉल तथा वसीय अम्लों में जल अपघटन करते हैं। लाइसोसोम के फटने के साथ ही कोशिका विभाजन का प्रक्रम आरम्भ हो जाता है।