कौन सी तकनीक बांझपन निवारण में वरदान सिद्धि
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एक वर्ष तक नियमित सम्भोग करने वाली महिला अगर गर्भधारण करने में असमर्थ हो तो वह बांझपन से जुड़ी समस्या का शिकार होती हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गर्भावस्था बनाए रखने और जीवित बच्चे को जन्म न दे पाना भी बांझपन में ही सम्मिलित होता हैं। स्त्रियों में प्रजनन क्षमता के प्रभावित होने के कारण कई स्वास्थय संबंधी समस्याएं हो सकती है जैसे :- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओ), ऐंडोमेटरिओसिज़, श्रोणि सूजन की बीमारी, गर्भाशय फाइब्रॉएड, एनीमिया, थायराइड की समस्याएं, अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूबज़, कैंडिडा और यौन संचारित रोग (एसटीडी) इत्यादि ।
इसी के साथ शराब, सिगरेट, मोटापा, तनाव, अनियमित एवं दर्दपूर्ण माहवारी की समस्या, पोषण-रहित भोजन या फिर अत्यधिक शारीरिक-प्रशिक्षण भी स्त्री की गर्भ-धारण क्षमता को प्रभावित करते हैं। यह समस्या 35वर्ष से ज्यादा उम्र की महिला को ज्यादा होती हैं।
वैसे तो बढ़ती टैक्नोलॉजी के बीच महिलाएं इन-विट्रो-फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) या सरोगेट-मां के माध्यम से बच्चा प्राप्त करने में सफल रही हैं लेकिन हर किसी के लिए यही तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि महंगी होने के कारण यह हर एक की पहुंच में नहीं हैं लेकिन कुछ प्राकृतिक और हर्बल उपचार भी बांझपन से लड़ने और गर्भवती होने की संभावनाओं को बढ़ाने में मददगार हैं।
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विटामिन-डी की कमी से भी बांझपन की समस्या'
महिलाओं में इंफर्टिलिटी का एक कारण विटामिन-डी की कमी भी है। देखा गया है कि 100 में 95 महिलाओं में विटमिन-डी की कमी होती है
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