Business Studies, asked by navdeep1757, 10 months ago

केन्द्रीय बैंक का क्या अर्थ है?

Answers

Answered by rajuramuchacha
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Explanation:

1. केन्द्रीय बैंक का प्रारम्भ (Introduction to Central Bank):

विश्व के सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रों में मौद्रिक एवं वित्तीय प्रणाली को उचित ढंग से चलाने में केन्द्रीय बैंक का महत्वपूर्ण स्थान है । केन्द्रीय बैंक की सहायता से सरकार की प्रशुल्क नीति के सफल संचालन करने एवं अर्थ-तंत्र को सुचारु रूप से चलाने में केन्द्रीय बैंक का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है । केन्द्रीय बैंक की क्रियाओं में व्यापक परिवर्तन हो गये है जिससे देश के आर्थिक विकास में इनका योगदान बढता ही जा रहा है । वर्तमान समय में केन्द्रीय बैंक को देश में आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार माना गया है ।

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विश्व का सर्वप्रथम केन्द्रीय बैंक 1656 में स्वीडन में निजी पूँजी की सहायता से रीक्स बैंक के नाम से स्थापित किया गया था । इस बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार होने पर भी 1830 के बाद राष्ट्र की प्रमुख व्यापारिक बैंकों ने नोट निर्गमन का कार्य प्रारम्भ कर दिया था । अतः 1897 में रीक्स बैंक को ही विधान पारित करके नोट निर्गमन का एकाधिकार सौंप दिया गया ।

इसके अतिरिक्त ब्रिटेन में 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड के नाम से केन्द्रीय बैंक की स्थापना की गई । यह बैंक प्रारम्भ से ही संसदीय विधान द्वारा स्थापित किया गया था जिसे नोट निर्गमन के भी अधिकार सौंपे गये । इसके उपरान्त विश्व के अन्य राष्ट्रों में भी केन्द्रीय बैंक की स्थापना की गई जैसे 1800 में बैंक ऑफ फ्रांस, 1814 में नीदरलैण्ड बैंक, 1816 में बैंक ऑफ नार्वे, 1860 में बैंक ऑफ रूस तथा 1875 में रीश बैंक ऑफ जर्मनी की स्थापना हुई ।

वास्तव में केन्द्रीय बैंक व्यवस्था का सूत्रपात 20वीं शताब्दी में ही प्रारम्भ हुआ जबकि विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में केन्द्रीय बैंकों की स्थापना 1900 के पश्चात् ही हुई । जैसे अमेरिका में फेडरल रिजर्व सिस्टम (Federal Reserve System) की स्थापना 1913 व कनाडा बैंक 1934 में स्थापित किया गया ।

विश्व में 1940 के पश्चात् अधिकांश राष्ट्रों में केन्द्रीय बैंक की स्थापना की गई, जिसके प्रमुख कारण निम्न हैं:

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(i) वित्तीय समस्याएँ:

युद्धोत्तरकाल में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय समस्याएँ इतनी जटिल हो गई थीं कि आपसी वित्तीय सम्बन्ध बनाये रखने के लिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन करने के लिए केन्द्रीय बैंक का निर्माण करना आवश्यक समझा गया ।

(ii) मुद्रा का नियमन:

विश्व में स्वर्णमान की समाप्ति से मुद्रा में स्वयं संचालकता का गुण समाप्त हो गया था, अतः ऐसी व्यवस्था करना आवश्यक समझा गया जो मुद्रा का उचित ढंग से नियमन व नियंत्रण कर सके ।

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(iii) स्वतंत्रता:

1940 के पश्चात् एशिया एवं अफ्रीका के अनेक राष्ट्रों को राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई, जिन्होंने अपनी मुद्रा एवं बैंक व्यवस्था के उचित संचालन के लिए केन्द्रीय बैंक की स्थापना आवश्यक समझी ।

(iv) उचित मार्गदर्शन:

गत वर्षों में प्रायः सभी राष्ट्रों में बैंकों का अत्यधिक विकास हुआ तथा बैंकिंग कार्यवाहियों में अधिक जटिलता उत्पन्न हो गई । अतः बैंकों के कार्यों के उचित मार्गदर्शन एवं पूर्ण नियमन व नियंत्रण के लिए उन राष्ट्रों में केन्द्रीय बैंक की स्थापना करना अनिवार्य एवं आवश्यक समझा गया तथा विभिन्न राष्ट्रों में केन्द्रीय बैंक की स्थापना हुई ।

2. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा (Definition of Central Bank):

केन्द्रीय बैंक की प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं:

(1) बैंक ऑफ इंटरनेशनल सैटिलमैन्ट्स – ”किसी भी राष्ट्र में केन्द्रीय बैंक वह बैंक है, जिसे देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा को नियमन करने का दायित्व सौंप दिया गया हो ।”

(2) प्रो. केन्ट – ”यह एक ऐसी संस्था के रूप में परिभाषित की जा सकती है, जिसे सामान्य जनकल्याण के हित में मुद्रा की मात्रा में विस्तार एवं संकुचन को प्रबन्ध करने का उत्तरदायित्व होता है ।”

इस प्रकार केन्द्रीय बैंक साख एवं मुद्रा का देश हित में नियमन करता है, मुद्रा में बाह्य मूल्य का नियंत्रण व संरक्षण करता तथा उत्पादन, व्यापार मूल्य एवं रोजगार के उच्चावचनों को रोकता है । इस प्रकार केन्द्रीय बैंक एक ऐसी संस्था होती है जो देश की मौद्रिक, साख एवं बैंकिंग व्यवस्था का निर्देशन एवं नियमन करती है तथा देश की आर्थिक प्रगति में योग देती है । केन्द्रीय बैंक द्वारा पर्याप्त मात्रा में मुद्रा चलन में डाली जाती है, साख की मात्रा का नियमन किया जाता है तथा बैंकिंग व विदेशी विनिमय व्यवस्था पर नियंत्रण रखा जाता है ।

उचित परिभाषा:

केन्द्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है जो देश की मौद्रिक, बैंकिंग एवं साख-व्यवस्था का नियमन एवं निर्देशन इस ढंग से करती है कि उससे देश की आर्थिक प्रगति उचित ढंग से सम्भव हो सकें ।

3. केन्द्रीय बैंक की आवश्यकता (Need for a Central Bank):

प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् राष्ट्रीयता की भावना एवं राजकीय नियंत्रण उत्पन्न होने से केन्द्रीय बैंकिंग के विकास को अधिक महत्व दिया गया । 1920 में ब्रूसेल्स में अन्तर्राष्ट्रीय वित्त सम्मेलन हुआ, जिसमें विभिन्न राष्ट्रों में एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना का सुझाव रखा गया, जो विभिन्न बैंकों के पथ-प्रदर्शन का कार्य कर सकें ।

Answered by bhatiamona
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केन्द्रीय बैंक का क्या अर्थ है?

केंद्रीय बैंक से तात्पर्य किसी भी राष्ट्र के उस मुख्य बैंक से होता है, जो किसी देश में बैकिंग प्रणाली बैंक को नियंत्रित करता है। जो देश के सभी बैंकों का नियामक होता है।

केंद्रीय बैंक किसी देश का मुख्य एवं शीर्षस्थ बैंक होता है, जो पूरे देश की समस्त बैंकिंग ब्रांच प्रणालियों पर अपनी नियंत्रण स्थापित करता है। वह बैंकों के लिए सभी नियम एवं कानून नीतियां तय करता है। बैंकों को आवश्यकता पड़ने पर वित्त एवं ऋण उपलब्ध कराता है।

केंद्रीय बैंक का मुख्य कार्य मुद्रा का नियमन करना होता है। वह देश की मुद्रा को छापता है। उस को नियंत्रित करता है। केंद्रीय बैंक जनता के हित वाली नीतियां बनाता है जो सभी बैंकों को पालन करना आवश्यक होती हैं। केंद्रीय बैंक बैंकों को लाइसेंस प्रदान करता है।

सरल शब्दों में कहें तो केंद्रीय बैंक किसी भी देश की पूरी बैंकिंग प्रणाली की नियामक संस्था है. जो सभी बैंकों को नियंत्रित एवं नियमित करता है।

भारत का मुख्य केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक है, जो पूरे भारत की समस्त बैंकिंग प्रणाली बैंकों को नियंत्रित करता है।

भारत की मुख्य मुद्रा रुपया छापने का कार्य भारतीय रिजर्व बैंक का ही है। वही सभी बैंकों के लिए ऋण लेने व देने की ब्याज दर तय करता है।

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