Hindi, asked by a2kiduniya, 13 hours ago

केन्द्रीय पति की माप माप से आप है इसके वया उद्देश्य एप कार्य है ग्या समझते 2केंद्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं इसके उद्देश्य एवं कार्य बताइए​

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Answered by manishadhiman31
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Explanation:

केंद्रीय प्रवृत्ति

चर मूल्यों के एक समूह व्यक्तिगत (खंडित अथवा अखंडित श्रेणी) में किसी चर मूल्य के आसपास अन्य मूल्यों को केंद्रित होने की प्रवृत्ति को केंद्रीय प्रवृत्ति कहा जाता है

केंद्रीय प्रवृत्ति के माप

उस बिंदु को जिस के आस पास अन्य बिंदुवों का जमाव होने की प्रवृत्ति पाई जाती है

“केन्द्रिय प्रवृत्ति उस माप को कहते हैं, जो दिये गये आकड़ों  (Data) का प्रतिनिधित्व करता है।”

दूसरे शब्दों में-

“केन्द्रिय प्रवृत्ति के मापों से तात्पर्य औसत मान (Average Value) से होता है।”

सांख्यिकी में औसत का अर्थ ही केन्द्रिय प्रवृति की माप से लगाया जाता है।

रास के अनुसार-

“केन्द्रिय प्रवृत्ति का मान वह मान है, जो समस्त आकड़ों का श्रेष्ठतम प्रतिनिधित्व करता है"

केंद्रीय बिंदु या केंद्रीय प्रवृत्ति के माप या सांख्यिकीय माध्य कहा जाता है केंद्रीय प्रवृत्ति की प्रमुख माप निम्नलिखित है

1. समांतर माध्य

2.मध्यका या माध्यिका

3.बहुलक या भुयिष्टक

१.गणितीय माध्य --

समान्तर माध्य ,गुणोत्तर माध्य ,हरात्मक माध्य

२.स्थितिक माध्य -- मध्यका व बहुलक (स्थती देखने से ज्ञात हो जाता है)

⚜समान्तर माध्य (Mean)

➖समान्तर माध्य वह मूल्य है जो किसी श्रेणी के समस्त मूल्यों के योग में उसकी संख्याओ का भाग देने से प्राप्त होता हैं

➖परिभाषा– गणितीय मध्यमान भिन्न भिन्न आकड़ों के योग को उनकी संख्या में विभाजित करनें पर प्राप्त मूल्य है।

➖सिम्पसन एवं काफ्का के शब्दों में–

मध्यमान एक लब्धि है, जो कि समूह में पदों के योग को पदों की संख्या से विभाजित करनें पर प्राप्त होता है।

उदाहरण–

संख्याओं  20, 10, 5, 15 10 का मध्यमान Mean ज्ञात कीजिए।

हल- संख्याओं का योग /  संख्याओं की संख्या

60/ 4= 15 Answer.

➖मध्यमान के गुण–

1.किसी भी एक मान के ज्ञात न होनें पर मध्यमान की गणना संभव नहीं, इस प्रकार मध्यमान सभी आकड़ों का उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।

2.इसका द्वारा समस्त शोधकर्ता समान मूल्य प्राप्त करते हैं, क्योकि इसमें निश्चित नियमों ( सूत्रों) का प्रयोग किया जाता है, इसलिए यह एक विश्वसनीय विधि है

3.मध्यमान के समस्त अंको के विचलन का योग शून्य होता है, इस प्रकार यह एक संतुलन विन्दु होता है।

4.मध्यामान सबसे अधिक बार केन्द्रिय प्रवृत्ति की मापों में प्रयुक्त होता है क्योकि यह एक सरल व गणना करनें में आसान विधि से प्राप्त हो जाता है।

5.बीजगणितीय नियमों से प्रयोग से अज्ञात आकड़ों को भी इस विधि से प्राप्त किया जा सकता है।

6.मध्यमान से लिए गये विचलनों के वर्ग का योग किसी अन्य मूल्य से लिए गये विचलन के वर्गों के योग से कम होता है

➖मध्यमान के दोष Demerits of Mean-

1.यदि अंक श्रृंखला में एक मूल्य ज्ञात न हो तो मध्यमान की गणना नहीं की जा सकती है।

2.मध्यमान की गणना सभी मूल्यों की सहायता से की जा सकती है, अत कभी कभी असामान्य या सीमान्त पद इसके मूल्यों को प्रभावित करते हैं।

3.इसी कारण यह मापन अंकों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाता है।

4.कभी कभी यह अवास्तविक मूल्य भी प्रदर्शित करता है।

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