Hindi, asked by ajsajs6299148611, 2 days ago

केन्द्रीय वि द्यालय क्रमांक-3 भोपाल

गहृ

कार्य

कक्षा-8 वि षय - हि न्दी

प्रश्न: 1 दि ए गए गद्यांश को ध्यान पर्वूकर्व पढ़कर नीचे लि खें प्रश्नों के उत्तर दीजि ए-

यदि मनष्ुय और पशुके बीच कोई अतं र हैतो केवल इतना कि मनष्ुय के भीतर वि वेक हैऔर पशु

वि वेकहीन है। इसी वि वेक के कारण मनष्ुय को यह बोध रहता है कि क्या अच्छा हैऔर क्या बरुा।

इसी वि वेक के कारण मनष्ुय यह समझ पाता है कि केवल खाने-पीने और सोने में ही जीवन का अर्थ

और इति नहीं। केवल अपना पेट भरने से ही जगत के सभी कार्य सपं न्न नहीं हो जाते और यदि

मनष्ुय का जन्म मि ला हैतो केवल इसी चीज का हि साब रखने के लि ए नहीं कि इस जगत ने उसे

क्या दि या हैऔर न ही यह सोचने के लि ए कि यदि इस जगत ने उसे कुछ नहीं दि या तो वह इस

ससं ार के भले के लि ए कार्य क्यों करे। मानवता का बोध कराने वाले इस गणु ‘वि वेक’ की जननी का

नाम ‘शि क्षा’ है। शि क्षा जि ससे अनेक रूप समय के परि वर्तनर्त के साथ इस जगत में बदलते रहते हैं,

वह जहाँ कहीं भी वि द्यमान रही हैसदैव अपना कार्य करती रही है। यह शि क्षा ही है जि सकी धरुी पर

यह ससं ार चलायमान है। वि वेक से लेकर वि ज्ञान और ज्ञान की जन्मदात्री शि क्षा ही तो है। शि क्षा

हमारे भीतर वि द्यमान वह तत्त्व है जि सके बल पर हम बात करते हैं, कार्य करते हैं, अपने मि त्रों और

शत्रओु ं की सचू ी तयै ार करते हैं, उलझनों को सलु झनों में बदलते हैं। असल में सीखने और सि खाने की

प्रक्रि या को ही ‘शि क्षा’ कहते हैं। शि क्षा उन तथ्यों का तथा उन तरीकों का ज्ञान कराती है जि न्हें हमारे

पर्वूजर्व ों ने खोजा था-सभ्य तथा सखु ी जीवन बि ताने लि ए।आज यदि हम सखु ी जीवन बि ताना चाहते हैं

तो हमें उन तरीकों को सीखना होगा, उन तथ्यों को जानना होगा जि न्हें जानने के लि ए हमारे पर्वूजर्व ों

ने नि रंतर सदि यों तक शोध कि या है। यह केवल शि क्षा के द्वारा ही सभं व है।

प्रश्न (क) प्रस्ततु गद्यांश का उचि त शीर्षकर्ष लि खि ए।

(ख) मनष्ुय और पशुमें क्या अन्तर है?

(ग) वि वेक से कि सका बोध होता हैतथा उसका जन्म कैसे होता है?

(घ) ‘वि ज्ञान’ शब्द में उपसर्ग और मलू शब्द लि खि ए।

प्रश्न 2 भारत में वि देशी व्यापार की शरुुआत कब हुई और कैसे ? साथ ही यह भी बताइए कि

आजकल हम कि न कि न वि देशी उपकरणों का प्रयोग करते हैं, उन सभी उपकरणों के नाम की सचू ी

तयै ार कीजि ए चि त्रों के माध्यम से उन उपकरणों को प्रस्ततु कीजि ए।




plz answer me ​

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Answered by kumarjatdevesh78
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Explanation:

केन्द्रीय वि द्यालय क्रमांक-3 भोपाल

गहृ

कार्य

कक्षा-8 वि षय - हि न्दी

प्रश्न: 1 दि ए गए गद्यांश को ध्यान पर्वूकर्व पढ़कर नीचे लि खें प्रश्नों के उत्तर दीजि ए-

यदि मनष्ुय और पशुके बीच कोई अतं र हैतो केवल इतना कि मनष्ुय के भीतर वि वेक हैऔर पशु

वि वेकहीन है। इसी वि वेक के कारण मनष्ुय को यह बोध रहता है कि क्या अच्छा हैऔर क्या बरुा।

इसी वि वेक के कारण मनष्ुय यह समझ पाता है कि केवल खाने-पीने और सोने में ही जीवन का अर्थ

और इति नहीं। केवल अपना पेट भरने से ही जगत के सभी कार्य सपं न्न नहीं हो जाते और यदि

मनष्ुय का जन्म मि ला हैतो केवल इसी चीज का हि साब रखने के लि ए नहीं कि इस जगत ने उसे

क्या दि या हैऔर न ही यह सोचने के लि ए कि यदि इस जगत ने उसे कुछ नहीं दि या तो वह इस

ससं ार के भले के लि ए कार्य क्यों करे। मानवता का बोध कराने वाले इस गणु ‘वि वेक’ की जननी का

नाम ‘शि क्षा’ है। शि क्षा जि ससे अनेक रूप समय के परि वर्तनर्त के साथ इस जगत में बदलते रहते हैं,

वह जहाँ कहीं भी वि द्यमान रही हैसदैव अपना कार्य करती रही है। यह शि क्षा ही है जि सकी धरुी पर

यह ससं ार चलायमान है। वि वेक से लेकर वि ज्ञान और ज्ञान की जन्मदात्री शि क्षा ही तो है। शि क्षा

हमारे भीतर वि द्यमान वह तत्त्व है जि सके बल पर हम बात करते हैं, कार्य करते हैं, अपने मि त्रों और

शत्रओु ं की सचू ी तयै ार करते हैं, उलझनों को सलु झनों में बदलते हैं। असल में सीखने और सि खाने की

प्रक्रि या को ही ‘शि क्षा’ कहते हैं। शि क्षा उन तथ्यों का तथा उन तरीकों का ज्ञान कराती है जि न्हें हमारे

पर्वूजर्व ों ने खोजा था-सभ्य तथा सखु ी जीवन बि ताने लि ए।आज यदि हम सखु ी जीवन बि ताना चाहते हैं

तो हमें उन तरीकों को सीखना होगा, उन तथ्यों को जानना होगा जि न्हें जानने के लि ए हमारे पर्वूजर्व ों

ने नि रंतर सदि यों तक शोध कि या है। यह केवल शि क्षा के द्वारा ही सभं व है।

प्रश्न (क) प्रस्ततु गद्यांश का उचि त शीर्षकर्ष लि खि ए।

(ख) मनष्ुय और पशुमें क्या अन्तर है?

(ग) वि वेक से कि सका बोध होता हैतथा उसका जन्म कैसे होता है?

(घ) ‘वि ज्ञान’ शब्द में उपसर्ग और मलू शब्द लि खि ए।

प्रश्न 2 भारत में वि देशी व्यापार की शरुुआत कब हुई और कैसे ? साथ ही यह भी बताइए कि

आजकल हम कि न कि न वि देशी उपकरणों का प्रयोग करते हैं, उन सभी उपकरणों के नाम की सचू ी

तयै ार कीजि ए चि त्रों के माध्यम से उन उपकरणों को प्रस्ततु कीजि ए।

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