कौन वाटर पोलूशन इंफॉर्मेशन शो
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क्या आप भी
रात्रि १२ बजे मनाते हैं जन्मदिन
तो हो जाएँ *
☝️सावधान
एक अजीब सी प्रथा इन दिनों चल पड़ी है वो है .. "रात्रि १२ बजे शुभकामनाएं" देने और जन्मदिन मनाने की। लेकिन क्या आपको पता है भारतीय शास्त्र के मान से यह उचित नही है .. आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि वास्तव में ऐसा करने से कितना बड़ा अनिष्ट हो सकता है..
आजकल किसी का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के १२ बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। लोग इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि "रात्रि को १२ बजे केक काटना है'
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपना जन्मदिन रात्रि १२ बजे यानि "निशीथकाल" ( प्रेत काल) में मनाते हैं। । निशीथ काल रात्रि का वह समय है जो सामान्यतः रात्रि काल १२ बजे से रात्रि ३ बजे के बीच होता है। आमजन इसे मध्यरात्रि या "अर्धरात्रि काल" कहते हैं। शास्त्रनुसार यह समय अदृश्य शक्तियों, भूत व पिशाच का काल होता है। इस समय में यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं।
हम जहाँ रहते हैं वहाँ कई ऐसी शक्तियाँ होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं, किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। जन्मदिन की पार्टी में अक्सर ऐसा होता है। ऐसे प्रेतकाल में केक काटकर, मदिरा व मांस का सेवन करने से अदृश्य शक्तियाँ व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है। साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे "दीपावली," "चार नवरात्रि", "जन्माष्टमी" व "शिवरात्रि" पर 'निशीथ" काल "महानिशीथ" काल बन कर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है।