History, asked by Awazchhetri, 3 months ago

कैन वंदना शिवा बी रिगार्डेड एस यू नो ऑफ़ इकोफेमिनिज्म एलेबोरेट हुई थी कि शेर C2 अमेजॉन वर्क्स

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  • डा वंदना शिवा (जन्म. 5 नवंबर 1952)
  • एक दार्शनिक, पर्यावरण कार्यकर्ता, पर्यावरण संबंधी नारी अधिकारवादी एवं कई पुस्तकों की लेखिका
  • वंदना शिवा पर्यावरण के लिए किसी भी मंच पर लडाई लडने में सबसे पहले नाम आता है डॉ. वंदना शिवा का। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की आवाज बुलंद की है। इंटरनेशनल फोरम आन ग्लोबलाइजेशन की सदस्य वंदना शिवा ने 1984 में केंद्र सरकार की हरित क्रांति का भी विरोध किया था, क्योंकि उन्होंने हरित क्रांति के पीछे रासायनिक खादों के भयानक इस्तेमाल की तैयारी सूंघ रखी थी।
  • उनके ही शब्दों में.….मैंने जब 1984 में हरित क्रांति का विरोध शुरू किया था तो इसके पीछे एक मकसद था। कहा जाताथा कि पंजाब में हरित क्रांति से खुशहाली आएगी। चीन में लाल क्रांति हुई लेकिन भारतमें बीजों के द्वारा होगी क्रांति। कहा गया कि हरित क्रांति से किसान संपन्न होंगे।संपन्न किसान कभी हथियार नहीं उठाएंगें। लेकिन 80 के दशक में तो बंदूक ही बंदूक थी।पंजाब में खालिस्तान बनने लग गया था।
  • हरित क्रांति अनाज उगाने की क्रांतिनहीं बल्कि रासायन बेचने की क्रांति थी। रासायनिक उत्पादों के बाजार बनाने के चक्कर में आपने अपनी फसलों को गायब कर दिया। इस देश में कमी किस चीज की है? इस देश मेंप्रोटीन की कमी है। इस देश में तेल की कमी है। जबकि हरित क्रांति के नाम परतिलहन और दलहन ही गायब कर दिए गए। जो बदलाव हुआ उसमें यहतय हो गया कि आप मिश्रित खेती की जगह पर अकेला गेहूं और चावल उगाओगे। जबकि यदि आपउतना जमीन और पानी गेंहू और चावल के उत्पादन पर लगा देते तो यहां के किसान बिनाकिसी नए बीज के उतना गेंहू चावल उगा लेते। हमारे पुराने बीजों इतने क्षमता वाले थे।फिर उसी हरित क्रांति और रासायनिक खेती की वजह से किसानों के खर्च बढ़ गए। परपहले उस खर्च को सब्सिडी के नाम पर छिपाया गया। जब धीरे धीरे सब्सिडी हटायी जानेलगी तब किसानों को इसकी असलियत का पता चला। पंजाब के किसानों को यह लगने लगा है किवह खर्च ज्यादा करते हैं और तुलना में मिलता कम है।
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