कौन वरो का दाता है
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कृत, त्रेता, द्वापर और कलि ये चार युग माने गये हैं। युगों की काल गणना इस प्रकार है कि कृत युग में चार हजार वर्ष, त्रेता युग में तीन हजार, द्वापर में दो हजार और कलियुग में एक हजार वर्ष। परन्तु एक युग समाप्त होते ही दूसरा युग एकदम आरम्भ नहीं हो जाता, बीच में दो युगों के संधि काल में कुछ वर्ष बीत जाते हैं।
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कृत, त्रेता, द्वापर और कलि ये चार युग माने गये हैं। युगों की काल गणना इस प्रकार है कि कृत युग में चार हजार वर्ष, त्रेता युग में तीन हजार, द्वापर में दो हजार और कलियुग में एक हजार वर्ष। परन्तु एक युग समाप्त होते ही दूसरा युग एकदम आरम्भ नहीं हो जाता, बीच में दो युगों के संधि काल में कुछ वर्ष बीत जाते हैं।
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