कुण्डलिया की परिभाषा उदाहरण सहित
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Explanation:
कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ
कुण्डलिया का परिभाषा उदाहरण सहित कुछ इस प्रकार है :-
कुण्डलिया ( परिभाषा )
• यह एक प्रकार का छंद है , ठीक उसी प्रकार
जिस प्रकार ' रोला ' और ' दोहा ' छंद है ।
• ' रोला और दोहा ' छंदों के मेल से ही 'कुण्डलिया'
छंद बनता है । अतः कुण्डलिया में रोला और दोहा
( दोनों छंद ) विराजमान होता है , सरल शब्दों में
कहें तो दोनों ( रोला और दोहा ) प्रस्तुत है ।
• मत्रिक छंद
• पहला सुर अंतिम शब्द एक ही होते है
• कुण्डलिया के पहले दो चरण दोहे का होता है ,
बाकी चार चरण रोला का होता है । पहले और
तीसरे चरण में तेरह मात्रा होती है वहीं दूसरी ओर
दूसरा और चौथा चरण में ग्यारह मात्रा होता है ।
उदाहरण :-
कवि : त्रिलोक सिंह ठुकरेला
कविता : रत्नाकर सबके लिए
रत्नाकर सबके लिए, होता एक समान ।
बुद्धिमान मोती चुने, सीप चुने नादान ।।
सीप चुने नादान, अज्ञ मूंगे पर मरता ।
जिसकी जैसी चाह, इकट्ठा वैसा करता ।।
'ठकुरेला' कविराय, सभी खुश इच्छित पाकर ।
हैं मनुष्य के भेद, एक सा है रत्नाकर ।