(क) नए हाथों से हम वर्तमान का रूप कैसे सँवार सकते हैं?
(ख) गगन के समान ऊँचा उठने के लिए हमें क्या करना होगा?
(ग) “निरंतर गतिशील बने रहो' कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
वि) हम धरती को स्वर्ग के समान सुंदर कैसे बना सकते हैं?
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नए हाथों से वर्तमान का रूप सुधारने के लिए हमें एक नए समाज का निर्माण करना होगा और उस नए समाज के निर्माण की प्रक्रिया में हमें आगे बढ़ कर अपनी कल्पनाओं को आकार देकर वास्तविकता के धरातल पर लाने का प्रयत्न करना होगा
.निरंतर गतिशील बने रहो' कवि ने ऐसा इसलिये कहा अगर तुम समय के साथ रहते हुए अपने कार्य को समझोंगे तो एक दिन निश्चित सफल होगे। ... प्रसंग- इसमें कवि ने बच्चों को भेदभावों, ईर्ष्या और द्वेष को त्यागकर समभाव से देखने का प्रयत्न किया है।
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