Hindi, asked by omkarvishwakarma802, 3 months ago

(क) ' नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व है कौन से दो पहलू (पक्ष)
उभरकर आते हैं ? लिखिए।
(अंक 3)
(ख) 'गलता लोहा' पाठ के आधार पर पहाडी गांवो की समस्याओं पर विचार विश्लेषण कीजिए।
(ग) मियां नसीरूद्दीन के व्यक्तित्व और चरित्र की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। (अंक 3)
(घ) 'गलता लोहा पाठ के आधार पर मोहन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
(अंक 3)
13. (क) शास्त्री तथा चित्रपट-संगीत में क्या अंतर है ?
(अंक 2)
(ख) नादमय उच्चार का क्या अर्थ है ? यह लता के गायन में किस प्रकार प्रकट हुआ है ? (अंक 2)
अथवा
चित्रपट संगीत ने लोगों की संगीत अभिरूचि को किस प्रकार संस्कारित किया ?
(ग) कुमार गंधर्व ने लता को बेजोड़ गायिका क्यों कहा है ?
(अंक 2)
(घ) लता मंगेशकर के गायन ने भारतीय लागों की अभिरूचि को किस प्रकार प्रभावित किया?
अथवा
लता ने चित्रपट-संगीत में मुख्यतया किस प्रकार के गाने गाए हैं और क्यों ?
(अंक 2​

Answers

Answered by raveenamaravi966
2

Answer:

लता ने चित्र पट-संगीत में मुख्यतया किस प्रकार के गाने गाए हैं और क्यों?

Answered by shishir303
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(क) ' नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व है कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं ? लिखिए।

उत्तर :

‘नमक का दरोगा’ कहानी में पंडित अलादीन के व्यक्तित्व के दो पहलू (पक्ष) उभरकर सामने सामने आते हैं...

पहला पहलू : पंडित अलोपदीन इस पक्ष में पैसा कमाने के लिए रिश्वत देकर अपना हर कार्य करने वाले एक भ्रष्ट व्यक्ति के रूप में उभर कर आते हैं, जो सफेदपोश व्यक्तित्व का चोला ओढ़े रहता है, यानी बाहर से वह दिखने में खुद को शरीफ प्रदर्शित करता है, लेकिन अंदर ही अंदर उसमें कुछ अवगुण भी हैं। वह लोगों पर अन्याय करता है और अनैतिक एवं रिश्वत देकर अपने कार्यों को संपन्न करने से भी संकोच नहीं करता।

दूसरा पहलू : कहानी के अंत में पंडित अलोपदीन का एक उज्जवल चरित्र भी उभरकर सामने आता है। जहां पर वह दरोगा बंशीधर की ईमानदारी का सम्मान करते हैं और दरोगा की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे अपने यहाँ अच्छा पद तक देने की पेशकश करते हैं। यह चरित्र उनकी सहृदयता और ईमानदारी का सम्मान करने का गुण प्रदर्शित करता है।

(ख) 'गलता लोहा' पाठ के आधार पर पहाडी गांवो की समस्याओं पर विचार विश्लेषण कीजिए।

उत्तर :

‘गलता लोहा’ पाठ के आधार पर अगर पहाड़ी गाँव की समस्या पर विचार करें तो हम पाएंगे कि पहाड़ी गाँवों की दुर्गम भौगोलिक स्थिति होने के कारण वहाँ पर सुख-सुविधाओं के अधिक साधन नहीं होते।

पहाड़ों के हर गाँव में विद्यालय नहीं होते। बहुत सारे गाँव के बीच किसी एक गाँव में ही विद्यालय होता है, जिससे बाकी बच्चों को कई मीलों पैदल चलकर तकलीफ उठाते हुए विद्यालय जाना पड़ता है। इस कारण पहाड़ी गाँव के बहुत से माँ-बाप अक्सर अपने बच्चों को सही ढंग से शिक्षा नहीं दिलवा पाते, इसलिए बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं या उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए मैदानी क्षेत्रों का रुख करना पड़ता है। बहुत ही गरीब माँ-बाप की सामर्थ अधिक ना होने के कारण वे अपने बच्चों को दूसरी जगह भेज भी नहीं पाते और ऐसे बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

पहाड़ी गाँवों में अति-आवश्यक सुविधाओं की भी कमी होती है, जिससे वहाँ का जीवन कष्टप्रद हो जाता है। सरकारों द्वारा पहाड़ी गाँवों विकास के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि वहाँ के लोगों का जीवन सरल बने।

(ग) मियां नसीरूद्दीन के व्यक्तित्व और चरित्र की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

‘मियाँ नसीरुद्दीन’ पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र बड़ा ही दिलचस्प और रोचक है। वह अपने क्षेत्र में खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।

  • वे खुद को दार्शनिक भी समझते हैं और खुद को सुकरात से कम नहीं समझते हैं।
  • वे बहुत बोलते भी हैं। पर वे काम से बड़े मेहनती हैं और उनकी मेहनतकशी अनुसरण करने योग्य है।
  • उनकी आँखों में चालाकी भी है, भोलापन भी है।
  • उनके माथे पर यह हुनरमंद कारीगर की तरह के तेवर दिखाई देते हैं।
  • वक्त की मार के साथ वे स्वयं को बढ़ा खानदानी व्यक्ति समझते हैं और उसके लिए तरह-तरह के उदाहरण भी देते हैं।
  • मियां नसीरुद्दीन शक्ति तालीम व्यावहारिक शिक्षा को मानते हैं। वह बोलते हैं केवल कागजी ज्ञान से सच्ची तालीम नहीं मिलती है, बल्कि व्यवहारिक रूप से बहुत कुछ सीखना पड़ता है। यदि वे बर्तन मांजना, भट्टी सुलगाना नहीं सीखते तो वह इतनी अच्छी नानबाई नहीं बना पाते।
  • उनके अनुसार केवल कागजी या मुंह बोली जबानी बातों से काम नहीं सीखा जाता है, उसके लिए अपने श्रम करना पड़ता है और व्यवहारिक रूप से कार्य करना पड़ता है।

(घ) 'गलता लोहा पाठ के आधार पर मोहन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।

उत्तर :

‘गलता लोहा’ पाठ के आधार पर मोहन का चरित्र चित्रण...

  • ‘गलता लोहा’ पाठ में मोहन कहानी का मुख्य पात्र है।
  • वह ब्राह्मण जाति का है, गाँव के पुरोहित का बेटा है।
  • वह एक स्कूल में पढ़ता है और उसकी धनराम लोहार नाम के लड़के से दोस्ती है। ऊंची जाति का होने के बावजूद निम्न जाति के धनराम लोहार के साथ जातिगत भेदभाव भूलकर दोस्ती कायम रखता है।
  • वह पढ़ने में अत्यंत मेधावी छात्र है, जो अपने गाँव के स्कूल में सबसे मेधावी छात्र रहा था।(

(क) शास्त्री तथा चित्रपट-संगीत में क्या अंतर है ?

उत्तर :

शास्त्रीय संगीत तथा चित्रपट संगीत में अंतर...

  • शास्त्रीय संगीत में रागों को प्रधानता दी जाती है, जबकि चित्रपट संगीत में गायकी और गायन को प्रधानता दी जाती है।
  • शास्त्रीय संगीत में गंभीरता होती है अर्थात इसका स्थाई भाव गंभीरता होता है, जबकि चित्रपट संगीत में चपलता और उच्छृंखलता होती है, इसमें गंभीरता का अभाव होता है।
  • शास्त्रीय संगीत ताल के परिष्कृत रूप में होता है, जबकि चित्रपट संगीत में अर्धतालों का प्रयोग किया जाता है।
  • शास्त्रीय संगीत में पक्कापन होता है, इसमें ताल और सुरों का निर्दोष ज्ञान प्रदर्शित किया जाता है, जबकि चित्रपट संगीत में गीत और आघात को अधिक महत्व दिया जाता है।
  • शास्त्रीय संगीत के नियम एकदम कड़े और व्यवस्थित होते हैं, जबकि चित्रपट संगीत के नियमों में ढीलापन होता है।
  • शास्त्रीय संगीत गरिमामय होती है, जबकि चित्रपट संगीत में गरिमा का अभाव होता है।
  • शास्त्रीय संगीत में पारंगत होने के लिये सतत् प्रयास और विशेष दक्षता की आवश्यकता होती है, जबकि चित्रपट संगीत अधिक सरलता से सीखा जा सकता है।

#SPJ3

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