Hindi, asked by mamtaarushiayaan, 10 months ago

काननिदै अंगुरी हिबो जबहीं ली थुनि मंद बहै।
मोहनी तनन यो क्सखीन अट अटाचीट ताथन तोहे तो तोहै।
टरि कहौं सिरे ब्रजलोवानि कल्डि कोफ किलो यस है ।
साइ रीवा मठ की सुसकान सम्हारी न जेहेन जेहें,
ना : bhavarth. ​

Answers

Answered by babliverma1302
0

Answer:

  1. djdjd xjxuxbzid d xhx dhdvs zuwge egeve hecd susvs njd xixvznzuz
Answered by rsingh625
1

रसखान ने इन पंक्तियों में गोपियों के कृष्ण प्रेम का वर्णन किया है, वो चाहकर भी कृष्ण को अपने दिलो-दिमाग से निकल नहीं सकती हैं। इसीलिए वे कह रही हैं कि जब कृष्ण अपनी मुरली बजाएंगे, तो वो उससे निकलने वाली मधुर ध्वनि को नहीं सुनेंगी। वो सभी अपने कानों पर हाथ रख लेंगी। उनका मानना है कि भले ही, कृष्ण किसी महल पर चढ़ कर, अपनी मुरली की मधुर तान क्यों न बजायें और गीत ही क्यों न गाएं, जब तक वो उसे नहीं सुनेंगी, तब तक उन पर मधुर तानों का कोई असर नहीं होने वाला।

लेकिन अगर गलती से भी मुरली की मधुर ध्वनि उनके कानों में चली गई, तो फिर हम अपने वश में नहीं रह पाएंगी। फिर चाहे हमें कोई कितना भी समझाए, हम कुछ भी समझ नहीं पाएंगी। गोपियों के अनुसार, कृष्ण की मुस्कान इतनी प्यारी लगती है कि उसे देख कर कोई भी उनके वश में आए बिना नहीं रह सकता है। इसी कारणवश, गोपियाँ कह रही हैं कि श्री कृष्ण का मोहक मुख देख कर, उनसे ख़ुद को बिल्कुल भी संभाला नहीं जाएगा। वो सारी लाज-शर्म छोड़कर श्री कृष्ण की ओर खिंची चली जाएँगी।

mark brainlist and follow me

Similar questions