Hindi, asked by sarthakj38, 7 months ago

काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै॥
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै॥

ANSWER THE FOLLOWING:

( क ) गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए क्या क्या करने को तैयार है ?

( ख ) गोपी कृष्ण की मुरली होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?

( ग ) सवैया से गोपी के किस मनोभाव का पता चलता है ?​

Answers

Answered by Anonymous
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Explanation:

गोपियां श्री कृष्ण का रूप बनाने के लिए कंबल ओढ़ कर गाय चराने को तैयार हैं, बंसी बजाने को तैयार हैं ....

गोपिया मुरली को अपने होठों पर इसने नहीं रखना चाहती क्योंकि वह मुरली से जलन करती हैं जिस मुरली के कारण श्रीकृष्ण उस उन पर ध्यान नहीं दे पाते ....

saviya से पता चलता है कि गोपियां श्री कृष्ण से कितना प्रेम करती हैं उनके प्रेम को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं .....

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