Hindi, asked by sarthakj38, 11 months ago

काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै॥
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै.


ANSWER THE FOLLOWING:

( क ) गोपी अपने मन की बात ब्रज के लोगों को क्यों सुना रही है ?

( ख ) गोपी स्वयं को कब नही सँभाल पाती और क्या ?

( ग ) गोपी कानों में में उँगली क्यों डालना चाहती है ?​

Answers

Answered by tanishgupta98
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Sorry I don't know the answer. please mark as brainlest answer.

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