केप्लरचे तीन नियम लिहा. त्यामुळे न्यूटनलाआपला गुरुत्व सिद्धांत मांडण्यात कशी मदतझाली?
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केप्लर के ग्रहीय गति के नियम
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है।
कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014)
चित्र १: केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1 and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1और ƒ2हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1और A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a13/2 : a23/2 के अनुपात में हैं।
खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियमइस प्रकार हैं - सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षादीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग,अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।
किसी ग्रह की कक्षीय अवधि का वर्ग उसकी कक्षा के अर्ध-प्रमुख अक्ष के घन के सीधे आनुपातिक है।
इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद योहानेस केप्लर (Johannes Kepler 1571–1632) ने की थी। और सौर मंडल के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।
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चित्र १: केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1 and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1और ƒ2हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1और A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a13/2 : a23/2 के अनुपात में हैं।
खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियमइस प्रकार हैं - सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षादीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग,अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।
किसी ग्रह की कक्षीय अवधि का वर्ग उसकी कक्षा के अर्ध-प्रमुख अक्ष के घन के सीधे आनुपातिक है।
इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद योहानेस केप्लर (Johannes Kepler 1571–1632) ने की थी। और सौर मंडल के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।
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केप्लरचा दुसरा नियम लिहा
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