(क) प्राचीनकाल में जौ का चाहे जो कुछ महत्व रहा
हो, पर वर्तमान युग में जौ का भोजन सिद्ध पुरुषों
के लिए दुष्पाच्य होता है। बड़ी चिंता हुई, महात्मा
जी को क्या खिलाऊँ। आखिर निश्चय किया कि
कहीं से गेहूँ का आटा उधार लाऊँ पर गाँव-भर में गेहूँ आटा न मिला। गाँव में सब मनुष्य–ही–मनुष्य थे, देवता एक भी न था। अतएव देयताओं का खाद्य पदार्थ कैसे मिलता।
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वैसे तो मै बता दू कि देवता लोग को खाघ पदार्थ नही खाते वो तो अमर है।
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