क) पौराणिक काल के अनेक युद्धों का वर्णन पुराणों में मिलता है। इन युद्धों का प्रमुख कारण क्या था? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
क) यदि युद्ध हारने पर दुर्योधन को बंदी बना लिया जाता और आप वहाँ उपस्थित होते, तो उसे क्या नसीहत देते?
D महाभारत के युद्ध के परिणामों पर आप क्या कहना चाहेंगे? give answerr fast please
Answers
(क)
यदि युद्ध हारने पर दुर्योधन को बंदी बना लिया जाता और हम वहां उपस्थित होते तो उसे यही नसीहत देते कि कभी भी किसी का अधिकार नहीं छीना चाहिए। तुमने पांडवों का अधिकार छीने का प्रयत्न किया। उनके प्रति अन्याय किया इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई। यदि तुम स्वेच्छा से उनका अधिकार होने दे देते तो शायद तुम्हारी यह गत नहीं होती।
हम तुरंत दुर्योधन को यह नसीहत भी देते कि अहंकार सदैव विनाश का कारण बनता है। इसलिए अहंकार कभी नहीं करना चाहिए। जिस तरह तुमने अहंकार किया और वह तुम्हारे विनाश का कारण बना।
हम दुर्योधन को यह सीख भी देते की जिद नहीं करनी चाहिए। तुमने बेवजह की जिद की कि पांडवों को 5 गांव क्या एक सुई के नोक बराबर जगह भी नहीं देंगे और यही बात युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक कारण बनी।
(ख)
महाभारत के परिणाम पर हम यही कहना चाहेंगे कि सत्य कितना भी कमजोर हो पर पराजित नहीं होता। देर-सबेर सत्य की ही जीत होती है। सत्य की स्थापना के लिए कभी-कभी थोड़ा बहुत छल का सहारा लेना पड़ता है तो उस छल का सहारा लेने में कोई बुराई नहीं जैसा कि महाभारत में पांडवों के पक्ष द्वारा कुछ किया गया। लेकिन वह एक अच्छे उद्देश्य के लिए था इसके लिए वह छल बुरा नहीं था।