(क) प्रथम चार पंक्तियों में किस ऋतु की ओर संकेत है ?
(i) वर्षा ऋतु (ii) वसंत ऋतु
(iii) शरद् ऋतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु
(ख) जब कवि बाढ़ में डूबता-उतराता था तब श्रोता क्या कर रहा था?
(i) घर में बैठा था
(ii) वाटर प्रूफ कवच को ओढ़े हुए था
(ii) बिजली का हीटर सेंक रहा था
(iv) कुछ नहीं कर रहा था
(ग) जीवन के खेल को कौन खेलता है?
(i) जो कष्टों को अपने ऊपर झेलता है
(ii) जो कष्टों से दूर भागता है
(iii) जो बचकर चलता है
(iv) जो सोता रहता है
(घ) आनंद का तिलक पीड़ा के माथे पर चढ़ने का आशय है-
(i) पीड़ा झेलने पर ही आनंद की अनुभूति होती है (ii) पीड़ा तिलक चढ़ाती है
(iii) तिलक माथे पर ही लगता है
(iv) पीड़ा झेलो, तिलक लगाओ
(ङ) इस कविता में कवि की प्रेरणा है
(i) खुली हवा में घूमो
(ii) समय की हर चोट को सहन करो
(iii) सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करो
(iv) आँधी-तूफान झेलो
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(क) प्रथम चार पंक्तियों में किस ऋतु की ओर संकेत है ?
(i) वर्षा ऋतु (ii) वसंत ऋतु
(iii) शरद् ऋतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु
(ख) जब कवि बाढ़ में डूबता-उतराता था तब श्रोता क्या कर रहा था?
(i) घर में बैठा था
(ii) वाटर प्रूफ कवच को ओढ़े हुए था
(ii) बिजली का हीटर सेंक रहा था
(iv) कुछ नहीं कर रहा था
(ग) जीवन के खेल को कौन खेलता है?
(i) जो कष्टों को अपने ऊपर झेलता है
(ii) जो कष्टों से दूर भागता है
(iii) जो बचकर चलता है
(iv) जो सोता रहता है
(घ) आनंद का तिलक पीड़ा के माथे पर चढ़ने का आशय है-
(i) पीड़ा झेलने पर ही आनंद की अनुभूति होती है (ii) पीड़ा तिलक चढ़ाती है
(iii) तिलक माथे पर ही लगता है
(iv) पीड़ा झेलो, तिलक लगाओ
(ङ) इस कविता में कवि की प्रेरणा है
(i) खुली हवा में घूमो
(ii) समय की हर चोट को सहन करो
(iii) सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करो
(iv) आँधी-तूफान झेलो
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