Social Sciences, asked by ankhleshwar, 9 months ago

कुपोषण से बचने के उपाय लिखिए।​

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Answered by shantanu13850
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कुपोषण के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

कुपोषण एक ऐसा शब्द है जिसे आपने कभी ना कभी और कहीं ना कहीं सुना ही होगा। यह किसी बीमारी की तरह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इससे पीड़ित बच्चों में एकाग्रता की कमी होती है। इसकी चपेट में आने का मुख्य कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना।

शरीर में विटामिन ए की कमी होने का मतलब है इसे आमत्रंण देना। वहीं आयोडीन की कम से बच्चों के मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। कुपोषण के शिकार बच्चे अपनी उम्र से काफी कम दिखते हैं। वहीं उन्हें चीजें जल्दी समझ में नहीं आती हैं।

कुपोषण के लक्षण – इसकी चपेट में मौजूद लोग हमेशा थके हुए महसूस करते हैं, उनकी आंखे धंसी होती हैं, उनके शरीर की रोग-पतिरोधक क्षमता यानी कि इम्युनिटी सिस्टम कमजोर रहता है। इसके अलावा उनकी त्वचा और बाल रुखे रहते हैं। मसूड़ों में सूजन, दांतो में सड़न, विकास में कमी, पेट फूलना, ज्यादा रोना, चिड़चिड़ापन और मांस पेशियों में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं।

अगर कुपोषण गंभीर परिस्थिति में पहुंच जाए तो उससे हड्डियों-जोड़ों में दर्द, हड्डियों का दिखना, मांसपेशियों में कमजोरी, नाखूनों का अपने आप टूटना, बालों का झड़ना और अचानक से रंग बदलना, भूख का ना लगना, बच्चों का बिना किसी वजह के रोना जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर आपको किसी में इस तरह के लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें नजरअंदाज ना करें।

आइये आपको कुछ घरेलू उपाय बताते हैं जिनकी मदद से आप इस बीमारी को मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।

कुपोषण से बचने के कुछ घरेलू उपाय

रात को 50 ग्राम किशमिश पानी में भिगो कर रख दें और सुबह इसे अच्छी तरह से चबाकर खा लें। इस प्रक्रिया को 2-3 महीने नियमित तौर पर करने से तीन महीने में ही कुपोषण मुक्त हो जाएंगे और आपका वजन भी बढ़ जाएगा।

अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाएं। दालें प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत होती है इसलिए अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा दालों को जगह दें।

दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करने से भी आप कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ सकते हैं। इसके लिए आपको रोजाना 300-500 मिली लीटर दूध पीना होगा।

रोजाना एक कटोरी बींस खाना आपकी सेहत के लिए काफी लाभकारी हो सकता है। रोजाना अखरोट खाने से आपका वजन बढ़ जाएगा। इसमें मौजूद मोनो सैचुरेटिड फैट आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

पूरी नींद ना लेने की वजह से आपके शरीर पर प्रभाव पड़ता है साथ ही शरीर थका हुआ महसूस करता है। इसलिए रोजाना 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।

रोजाना 100-200 ग्राम काले भुने हुए चने खाने से भी आप कुपोषण को मात दे सकते हैं। आप चाहें तो इन्हें रात में भिगोकर रख दें और सुखा लें। इससे भी आपको फर्क साफ दिखेगा।

कैल्शियम और आयरन की दवाओं को नियमित खाने से भी आप कुपोषण से मुक्ति पा सकते हैं। ये दवाए आप किसी भी सरकारी अस्पताल से मुफ्त में ले सकते हैं।

उम्मीद है जागरूक पर कुपोषण के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।

कुपोषण के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

कुपोषण एक ऐसा शब्द है जिसे आपने कभी ना कभी और कहीं ना कहीं सुना ही होगा। यह किसी बीमारी की तरह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इससे पीड़ित बच्चों में एकाग्रता की कमी होती है। इसकी चपेट में आने का मुख्य कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना।

If oxygen is present in the cell, many organisms will bypass fermentation and undergo cellular respiration; however, facultative anaerobic organisms will both ferment and undergo respiration in the presence of oxygen.[3] Sometimes even when oxygen is present and aerobic metabolism is happening in the mitochondria, if pyruvate is building up faster than it can be metabolized, the fermentation will happen anyway.

Lactate dehydrogenase catalyzes the interconversion of pyruvate and lactate with concomitant interconversion of NADH and NAD+.

In homolactic fermentation, one molecule of glucose is ultimately converted to two molecules of lactic acid. Heterolactic fermentation, in contrast, yields carbon dioxide and ethanol in addition to lactic acid, in a process called the phosphoketolasepathway.[1]

शरीर में विटामिन ए की कमी होने का मतलब है इसे आमत्रंण देना। वहीं आयोडीन की कम से बच्चों के मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। कुपोषण के शिकार बच्चे अपनी उम्र से काफी कम दिखते हैं। वहीं उन्हें चीजें जल्दी समझ में नहीं आती हैं।कुपोषण के लक्षण – इसकी चपेट में मौजूद लोग हमेशा थके हुए महसूस करते हैं, उनकी आंखे धंसी होती हैं, उनके शरीर की रोग-पतिरोधक क्षमता यानी कि इम्युनिटी सिस्टम कमजोर रहता है। इसके अलावा उनकी त्वचा और बाल रुखे रहते हैं। मसूड़ों में सूजन, दांतो में सड़न, विकास में कमी, पेट फूलना, ज्यादा रोना, चिड़चिड़ापन और मांस पेशियों में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं।

Answered by nishabundela11
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कैल्शियम और आयरन – बच्चों को कैल्शियम और आयरन की दवाई नियमित तौर पर देनी चाहिए।

पूरी नींद – ऐसे बच्चों को पूरी नींद देनी चाहिए। 7 से 8 घंटे की नींद एक अच्छी नींद मानी जाती है।

प्रोटीन युक्त भोजन खिलाएं- कुपोषण के शिकार बच्चों को प्रोटीन अधिक से अधिक मात्रा में मिलना चाहिए। इसलिए उन्हें सोयाबीन, दूध, अंडे, मांस भरपूर मात्रा में दिया जाना चाहिए। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। बच्चों को प्रतिदिन 300 से 500 मिलीलीटर दूध पीने के लिए देना चाहिए। रोजाना एक कटोरी बींस ऐसे बच्चों को खिलाना चाहिए।

सरकार को कुपोषण समाप्त करने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए- कुपोषण धन की कमी के कारण उत्पन्न खाद्य असुरक्षा है। यदि माता-पिता के पास धन नहीं होगा तो वह बच्चों की परवरिश सही तरीके से नहीं कर पाएंगे। इसलिए भारत की कुपोषण रैंकिंग को सुधारने के लिए गरीबी का स्तर भी सुधारना होगा। इसके लिए सरकार को ठोस नीति बनानी चाहिए।

स्तनपान जरूरी है- वे महिलाएं जो अभी जल्द ही मां बनी है उनको अपने शिशु को स्तनपान जरूर करना चाहिए, क्योंकि मां के दूध में सभी प्रकार के पोषक पदार्थ होते हैं। बहुत सी महिलाएं फिगर खराब होने से डरती है इसलिए वे अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं।

लड़कियों का कम उम्र में विवाह रोके- होने वाला बच्चा कुपोषण का शिकार ना हो, इसके लिए यह आवश्यक है कि लड़कियों का विवाह 18 वर्ष के बाद ही किया जाए। जिससे की उनके शरीर का भरपूर विकास हो सके। उसके बाद जो बच्चा जन्म लेगा वह कुपोषण से मुक्त होगा।

मलिन बस्तियों में ना रहे- कुपोषण का सबसे अधिक प्रभाव मलिन बस्तियों में देखने को मिलता है। वहां पर रहने की पर्याप्त जगह नहीं होती और शौच, स्नान, जल निकासी सुविधा भी ना के बराबर होती है। इस तरह की मलिन बस्तियों में घर बहुत छोटे छोटे होते हैं। उसमें ना तो सूर्य का प्रकाश जाता है ना ही खुली हवा। इस कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। वहां चारो तरफ गंदगी होती है जिसमें बीमारी बहुत जल्दी फैलती है।

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