कैप्टन बार-बार मूति पर चश्मा क्यों लगा देता था?
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Answer:
कैप्टन नेता जी की मूर्ति पर चश्मा इसलिए लगाया करता है क्योंकि उसे नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति अच्छी नहीं लगती है।
Explanation:
कैप्टन देशभक्त तथा शहीदों के प्रति सम्मान रखने वाला इंसान था। वह नेताजी की चश्मा के बिना मूर्ति देखकर उदास होता था। वो मूर्ति पर चश्मा पहना देता था पर किसी कस्टमर द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर वापस उतारकर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा पहना दिया करता था।
- कैप्टन चश्मे वाला, सेनानी न होते हुए भी लोग उसे कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उसके हदय में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों के प्रति विशिष्ट सम्मान था। वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस का बहुत सम्मान करता था।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा न होने से वह दुखी था। अतः कोई न कोई चश्मा नेताजी की आँखों पर लगा देता था। बार-बार मूर्ति पर नया चश्मा पहनाकर वह उनके प्रति एवं देश के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट करता था।
कैप्टन चश्मे वाले का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए था। उसका सम्मान किया जाना चाहिए था।
- कैप्टन चश्मे वाला एक देशभक्त इंसान था। पान वाले ने उनका मजाक उड़ाया तो हालदार साहब को यह बात अच्छी नहीं लगी। नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगा हुआ था, कैप्टन साहब उनकी मूर्ति पर रोज नया चश्मा लगाकर जाते थे ।
- कैप्टन साहब नाम से हालदार साहब ने उनकी कल्पना जिस प्रकार की थी वे उस तरह नहीं थे। उन्हें लगा कैप्टन साहब कोई हट्टा कट्टा इंसान होगा, वह सिर पर फौजी टोपी पहनता होगा, वह रौबदार, अनुशासित तथा दबंग होगा।
- जब हालदार साहब ने उसे देखा तो दंग रह गया क्योंकि कैप्टन साहब एक मरियल सा लंगड़ा आदमी था जिसने सिर पर गांधी टोपी पहनी हुई थी। आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए था, एक हाथ में संदूकची थी व दूसरे हाथ में बांस में टंगे हुए बहुत सारे चश्मे थे। उसकी दुकान भी नहीं थी, घूम घूम कर चश्मे बेचता था।
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