कैप्टन सौरभ काली को कमांडर ने क्या आदेश दिया
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Heya Dhosth,
आज भारत कारगिल युद्ध की 19वीं वर्षगांठ पर जश्न मना रहा है, लेकिन इस जश्न के पीछे हैं कई ऐसे जवान, जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान भी गवां दी. इन जवानों में एक जवान ऐसे भी हैं, जिनकी कहानी बहुत कम सुनाई जाती है और उनका नाम है कैप्टन सौरभ कालिया. उन्होंने जंग शुरू होने से पहले ही शहादत देती थी.
कैप्टन सौरभ कालिया ने करगिल में पाकिस्तानी सैनिकों की बड़ी घुसपैठ का सामना किया था. 5 मई 1999 को कैप्टन कालिया और उनके 5 साथियों को पाकिस्तानी फौजियों ने बंदी बना लिया था. 20 दिन बाद वहां से भारतीय जवानों के शव वापस आए तो अटॉप्सी रिपोर्ट से पता चला कि भारतीय जवानों के साथ पाकिस्तान ने उसके साथ बेरहमी की थी.
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बता दें, उन्हें सिगरेट से जलाया गया था और उनके कानों में लोहे की सुलगती छड़ें घुसेड़ी गई थीं. सौरभ कालिया के साथ उनके पांच साथी नरेश सिंह, भीखा राम, बनवारी लाल, मूला राम और अर्जुन राम भी थे. ये सभी काकसर की बजरंग पोस्ट पर गश्त लगा रहे थे, जब ये दुश्मन के हाथों पकड़े गए.
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22 दिनों तक इन्हें जबरदस्त यातना दी गई. सौरभ कालिया की उम्र उस वक्त 23 साल थी और अर्जुन राम की महज 18 साल. सौरव कालिया बटालिक में 6 जवानों की अपनी टुकड़ी के साथ गश्त पर थे. गश्त के दौरान ही पाकिस्तानी घुसपैठियों ने उन्हें पकड़ लिया था. तीन हफ्ते बाद उनके शव क्षत-विक्षत हालत में सेना के पास लौटे. उनकी पहचान तक मुश्किल थी. हालांकि पाकिस्तान हमेशा इससे इंकार करता रहा है.