कंप्यूटर का बढ़ता प्रभाव पूरा निबंध इन हिंदी in short
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कम्प्यूटर आधुनिक तकनीक की एक महान खोज है। ये एक सामान्य मशीन है जो अपनी मेमोरी में ढेर सारे डाटा को सुरक्षित रखने की क्षमता रखती है। ये इनपुट (जैसे की-बोर्ड) और आउटपुट(प्रिंटर) के इस्तेमाल से काम करता है। ये इस्तेमाल करने में बेहद आसान है इसलिये कम उम्र के बच्चे भी इसे काफी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। ये बहुत ही भरोसेमंद है जिसे हम अपने साथ रख सकते है और कहीं भी और कभी भी प्रयोग कर सकते है। इससे हम अपने पुराने डेटा में बदलाव के साथ नया डेटा भी बना सकते है।
कंप्यूटर एक नई तकनीक है जो कार्यालय, बैंक, शिक्षण संस्थान आदि में उपयोग किया जाता है। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए ही आज तक मनुष्य हमेशा से नवीनतम आविष्कारों को सफल बनता आया है। मनुष्य ने विज्ञान की सहायता से जिन सबसे महत्वपूर्ण चीजों का निर्माण किया है कमप्यूटर उन्हीं में से एक है।
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कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है जो अपने आप में इतनी चीजे सहज कर रख सकता है जितना हम शायद कभी सोच नही सकते।
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कंप्यूटर का बढ़ता प्रभाव
यह यंत्र विज्ञान की एक ऐसी देन है जिसको केवल बड़े ही नही बल्कि बच्चे भी बड़ी आसानी से इस्तेमाल कर सकते है। इसे हम कभी भी प्रयोग कर सकते है और ये हमारे लिए इतना भरोसेमंद है की हम जितना अपने आप पर विश्वास नहीं कर सकते उतना इस यंत्र पर कर सकते है।
वर्तमान काल में कंप्यूटर का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जाता है और मानो इसके बिना हम आगे बढ़ ही नही सकते। इसमें कई सूचनाएँ एक साथ रखी जा सकती हैं। शुद्ध गणना के लिए यह अचूक साधन है। आज बैंकों में, रेलवे कार्यालयों में, औद्योगिक इकाइयों के संचालन में, आर्थिक प्रबन्धन एवं सैन्य–गतिविधियों और खगोलीय गणना में कम्प्यूटर का प्रयोग प्राथमिकता के साथ हो रहा है। ज्योतिष गणना, मौसम की भविष्यवाणी, वायुयानों के संचालन तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कम्प्यूटर को विशेष रूप से अपनाया जा रहा है। ई–मेल, ई–कॉमर्स, इंटरनेट, सेलफोन आदि के प्रसार के साथ उपयोगिता निरन्तर बढ़ती जा रही है।
लेकिन साथ ही विज्ञान ने मनुष्य के महत्त्व और कार्यक्षेत्र का अपरिमित विस्तार करके उसे बहुत ज्यादा व्यस्त बना दिया ह। अब मनुष्य एक विशाल मशीनरी सभ्यता का स्वचालित यन्त्र मात्र बनकर रह गया है। विज्ञान के द्वारा जुटाये सुख के साधन इतने मोहक तथा लुभावने हैं कि व्यक्ति उन्हें प्राप्त करने के लिए अपना मनुष्यत्व भूल जाता है। इसी से भ्रष्टाचार की असीमित वृद्धि होने लगी है। इससे आज भौतिकवादी प्रवृत्ति बढ़ रही है और विनाशकारी अणु आयुधों का निर्माण हो रहा है जिससे मानव जाति का समूल नाश हो सकता है। अतः विज्ञान मानव–जाति के लिए अभिशाप दिखाई दे रहा है।