Hindi, asked by suravkumar9031, 7 hours ago

कंप्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता पर शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद लिखिए​

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Answered by AbhilabhChinchane
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Answer:

सरकारी शिक्षा में सीबीएसई पैटर्न लागू करने के वर्षों बाद अब प्राइमरी और अपर प्राइमरी कक्षाओं से ही कंप्यूटर दक्षता का अभियान चलाने की सोच वक्त के साथ कदमताल करने की कवायद है। शहरी क्षेत्रों में फैले निजी स्कूल इस दिशा में पहले से ही काम कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों की शिक्षा सरकार के ही भरोसे है। शहरों के सरकारी स्कूलों में भी हालांकि कंप्यूटर शिक्षा लागू नहीं है किंतु इन इलाकों में रहने वाले बच्चे अपने प्रयासों से कम से कम इतना तो जान ही जाते हैं कि कंप्यूटर क्या चीज है। गांव इससे सर्वथा अनजान हैं, जबकि राज्य की 76 फीसद आबादी गांवों में ही रहती है। वह गरीब तो है ही, बहुत भोली-भाली भी है। उसकी महत्वाकांक्षाएं सीमित हैं। इसलिए भी उसके विकास की गति अत्यंत धीमी है। वह दुनिया से उस हद तक परिचित नहीं, जितने शहरी होते हैं। ऐसी स्थिति में कंप्यूटर शिक्षा बहुत उपयोगी साबित होगी। जब प्रज्ञा केंद्रों के माध्यम से पंचायत भवनों को कंप्यूटर और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है तो इससे गांव वालों का परिचित होना आवश्यक है। इसलिए विद्यालयों को कंप्यूटर नेटवर्क से जोड़ा जाना आवश्यक है।

आधुनिक संसार में विकास का असल मंत्र शिक्षा में ही छिपा हुआ है। इस लिहाज से राज्य की अधिकतम आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दायरे में लाकर ही राज्य को विकसित किया जा सकता है अन्यथा बाकी उपाय अल्पकालीन और धीमे साबित होंगे। ऐसी स्थिति में पहले तो सरकारी स्कूलों को केवल मध्याह्न भोजन का केंद्र बनाने की जगह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र भी बनाना ही होगा। पर्याप्त संख्या में दक्ष शिक्षकों की नियुक्ति इसका एक उपाय हो सकता है। इसी कड़ी में कंप्यूटर ज्ञान दिया जाना भी शामिल होना चाहिए। जब बच्चे इसमें दिलचस्पी लेने लगेंगे तो माता-पिता भी जागरूक होंगे। निश्चय ही हर घर में कंप्यूटर की उपलब्धता संभव नहीं हो सकेगी किंतु इस क्रांति का सूत्रपात तो होना चाहिए। इस कड़ी में जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति में बदलाव आएगा, कंप्यूटर हर घर की आवश्यकता बनता चला जाएगा। कंप्यूटर का ज्ञान प्राप्त होने से बच्चे बहुत जल्द आधुनिक संसार से परिचित होने लगेंगे और अपनी जरूरत की शिक्षण सामग्री इसी के माध्यम से पलक झपकते ही प्राप्त करने लगेंगे। बच्चों का ज्ञान और उनकी बुद्धिमत्ता बढऩे पर शिक्षक भी अपने ज्ञान का दायरा विस्तारित करने को विवश हो जाएंगे। इस प्रकार झारखंड की ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

[स्थानीय संपादकीय : झारखंड]

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