कंपनी के समामेलन के समय कंपनी के रजिस्ट्रार को प्रस्तुत किए जाने वाले 9 लेखों के नाम दीजिए
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1. वैधानिक कंपनी ( Statutory Company :- वैधानिक कंपनी भारतीय संसद या किसी राज्य सरकार द्वारा पारित किसी विशेष अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जन सामान्य / लोक हित को सहायता या सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से संस्थापित या निगमित की जाती है यह कंपनियां विशेष अधिनियम के प्रावधानों के साथ साथ कंपनी अधिनियम 2013, के वह प्रावधान जो विशेष अधिनियम के प्रावधानों से असंगत ना हो के द्वारा शासित होती हैं
उदाहरण- भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय जीवन बीमा निगम
2. पंजीकृत कंपनियां (Registered Companies):- कंपनी अधिनियम 2013 या इससे पूर्व के किसी कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कंपनियां पंजीकृत कंपनियां कहलाती है
पंजीकृत कंपनियां कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत वर्णित प्रक्रिया के अनुसार पंजीकृत होने के उपरांत कंपनी के रजिस्ट्रार द्वारा प्रदान किए जाने वाले पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्राप्त कर लेने के उपरांत ही अस्तित्व में आती है
दायित्व के आधार पर कंपनी के प्रकार:-
(Types of Company on the basis on Liability)
अंशो द्वारा सीमित कंपनी (Company Limited by Shares) :- ऐसी कंपनी जिसमें उसके सदस्यों का दायित्व उसके पार्षद सीमा नियम (मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन) मैं उल्लेखित अंशो के मूल्य की सीमा तक बकाया राशि तक के लिए हो| अतः अंशो द्वारा सीमित कंपनी से आशय ऐसी कंपनी से है जिसमें उसके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा लिए गए अंशो की राशि तक सीमित रहता है
कंपनी द्वारा अपने सदस्यों को अंशो पर बकाया राशि के भुगतान के लिए कंपनी के जीवन काल में किसी भी समय या कंपनी के समापन के समय भी बाध्य किया जा सकता है
उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति द्वारा ₹100 के अंश के एवज में ₹75 का भुगतान किया गया है इस स्थिति में वह व्यक्ति ₹25 भुगतान और करने के लिए दायित्वआधीन है कंपनी द्वारा किसी भी समय उक्त राशि की मांग की जा सकती है.
अंशो द्वारा सीमित कंपनी एक बहुत ही सामान्य रूप है जो निजी कंपनी एवं सार्वजनिक कंपनी दोनों रूपों में पंजीकृत हो सकती है
प्रत्याभूति/जमानत द्वारा सीमित कंपनी ( Company Limited by Guarantee) :- प्रत्याभूति/जमानत द्वारा सीमित कंपनी, कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत एक ऐसी कंपनी जिसके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा प्रदान की गई सहमति, तक की राशि जो कंपनी के सीमा नियम में उल्लेखित है तक सीमित रहता है अतः कंपनी के सदस्य उनके द्वारा प्रदान की गई सहमति प्रत्याभूति/ जमानत की राशि कंपनी के समापन के समय एकत्रित करने के लिए बाध्य होते हैं
ऐसी कंपनी में सदस्यों का दायित्व कंपनी के ऋण मैं सहमति राशि तक रहता है
क्लब, व्यापारिक संगठन, अनुसंधान केंद्र, सोसायटी इस प्रकार की कंपनियों के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं
असीमित दायित्व कंपनी (Unlimited Liability Company):- कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत एक एसी कंपनी जिसके सदस्यों के दायित्व की सीमा का कोई निर्धारण ना हो असीमित दायित्व कंपनी कहलाती है
अतः इस कंपनी के सदस्य कंपनी के ऋण के लिए कंपनी मैं उनके अधिकार के अनुपात में व्यक्तिगत रूप से ऋणी होते हैं साथ ही उनका दायित्व भी असीमित रहता है
इस तरह की कंपनी की स्थापना अंश पूंजी के साथ या बिना अंश पूंजी के निजी कंपनी या सार्वजनिक कंपनी के रूप में की जा सकती है
कंपनी के सदस्यों की संख्या के आधार पर कंपनी के प्रकार:- (Types of Companies on the basis of Number of Member)
सार्वजनिक कंपनी (Public Company) : – कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(71) परिभाषित किया गया है कि जो कंपनी निजी कंपनी नहीं हे वह सार्वजनिक कंपनी है
कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 3(1) मैं परिभाषित प्रावधान के अनुसार सात (7) या उससे अधिक व्यक्तियों द्वारा वैधानिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक कंपनी की स्थापना की जा सकती है
कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 149(1) मैं परिभाषित प्रावधान के अनुसार प्रत्येक सार्वजनिक कंपनी के निदेशक मंडल में कम से कम 3 निदेशक/ डायरेक्टर रहना अनिवार्य है
कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 4(1)(a) में परिभाषित प्रावधान के अनुसार सार्वजनिक कंपनी को अपने नाम के अंत में लिमिटेड शब्द लगाना अनिवार्य होता है
सार्वजनिक कंपनी की यह प्रमुख विशेषता होती है कि इसके अंशो एवं ऋण पत्रों का विक्रय एवं स्थानांतरण स्वतंत्रता पूर्वक इसके सदस्यों द्वारा किया जा सकता है साथ ही वैधानिक तौर पर भी सिर्फ सार्वजनिक कंपनी द्वारा ही अपने अंशो को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराया जा सकता है
एक निजी कंपनी जो किसी सार्वजनिक कंपनी की सहायक कंपनी है, वह कंपनी भी वैधानिक अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक कंपनी ही मानी जाएगी.
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