को पट्टी न मिले, अफ़सोस नहीं, पर क्वार के दिनों में इस गंधपूर्ण झागभरे जल
में कूदना न हो तो बड़ा बुरा मालूम होता है। मैं भीतर हुड़क रहा था। दो-एक दिन
ही तो कूद सका था, नहा-धोकर बीमार हो गया। हलकी बीमारी न जाने क्यों मुझे
अच्छी लगती है। थोड़ा-थोड़ा ज्वर हो, सर में साधारण दर्द और खाने के लिए
दिनभर नींबू और साबू। लेकिन इस बार ऐसी चीज़ नहीं थी। ज्वर जो चढ़ा तो
बता ही गया। रज़ाई पर रजाई-और उतरा रात बारह बजे के बाद। Does anyone know what in the meaning of साबू here
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sabo means sago in English
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पट्टी न मिले, अफ़सोस नहीं, पर क्वार के दिनों में इस गंधपूर्ण झागभरे जलमें कूदना न हो तो बड़ा बुरा मालूम होता है। मैं भीतर हुड़क रहा था। दो-एक दिनही तो कूद सका था, नहा-धोकर बीमार हो गया। हलकी बीमारी न जाने क्यों मुझेअच्छी लगती है। थोड़ा-थोड़ा ज्वर हो, सर में साधारण दर्द और खाने के लिएदिनभर नींबू और साबू। लेकिन इस बार ऐसी चीज़ नहीं थी। ज्वर जो चढ़ा तोबता ही गया। रज़ाई पर रजाई-और उतरा रात बारह बजे के बाद।
साबू का अर्थ तथा गद्यांश का सार स्पष्ट कीजिए।
साबू का अर्थ है साबुदाना।
- दिया गया गद्यांश " दादी मां " पाठ से लिया गया है। इस पाठ में लेखक है शिव प्रसाद सिंह।
- लेखक को जब अपनी दादी मां की मृत्यु का समाचार अपने भाई किशन के पत्र द्वारा मिला तो वह पुरानी स्मृतियों में खो गया।
- लेखक को दादी मां के प्यार की कमी तब महसूस होती थी जब वह बीमार पड़ता था, लेखक को हल्की बीमारी पसंद थी क्योंकि उस बुखार में दादी मां का अधिक स्नेह मिलता था। लेखक के बीमार होने पर दादी मां दिन भर उसका ख्याल रखती , बार बार छू कर देखती कि बुखार उतरा कि नहीं। उसे खाने में साबुदाना व खिचड़ी देती।
- किसी चबूतरे से लाई हुई चमत्कारी मिट्टी सोने साड़ी के पल्लू की गांठ से खोलकर लेखक के माथे पर लगाती।
- दादी मां दिन भर चारपाई के पास बैठी रहती, पंखा झलती, सिर कर दालचीनी रखती।
#SPJ2
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