कृपया इसका श्लोक का अर्थ बताओ ।
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यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः । समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥
भावार्थ :
जो व्यक्ति सरदी-गरमी, अमीरी-गरीबी, प्रेम-धृणा इत्यादि विषय परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता और तटस्थ भाव से अपना राजधर्म निभाता है, वही सच्चा ज्ञानी है ।
भावार्थ :
जो व्यक्ति सरदी-गरमी, अमीरी-गरीबी, प्रेम-धृणा इत्यादि विषय परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता और तटस्थ भाव से अपना राजधर्म निभाता है, वही सच्चा ज्ञानी है ।
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