कोर-1 : हिन्दी साहित्य का इतिहास : आ
हिन्दी में साहित्येतिहास लेखन की पर
हित्येतिहास लेखन की प्रमुख समस्याएं
त्य में काल विभाजन और नामकरण
आलोचनात्मक प्रश्नोत्तर
हेन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा का उल्लेख करें। (R
साहित्य की प्रगति, परंपरा, निरंतरता और विकास की पहचान ही साहित
न है। साहित्य का इतिहास-लेखन रचनाओं या रचनाकारों के उद्
ही है, बल्कि यह साहित्य की विकासशील परम्परा और प्रवृत्तियों में
साहित्य कि इतिहास-लेखन में साहित्यि6क कृतियों का केवल रूप औ
ही किया जाता, बल्कि रचना में व्यक्त रचनाकार की सृजनशील चे
- है। किसी भी देश का साहित्य उस देश के सामाजिक, राजनीति
को प्रतिबिंबित करता है। इसलिए साहित्य के निता-
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॰ रूपचंद पारीक, गार्सा-द-तासी के ग्रन्थ इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐन्दूई ऐन्दूस्तानी को हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास मानते हैं। उन्होंने लिखा है - हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास लेखक गार्सा-द-तासी हैं, इसमें संदेह नहीं है। परंतु डॉ॰ किशोरीलाल गुप्त का मंतव्य है- तासी ने अपने ग्रन्थ को 'हिन्दुई और हिन्दुस्तानी साहित्य का इतिहास' कहा है,
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