कार्बोनिल योगिको के लिए बुडबर्ड फीजर नियम समझाइए
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कार्बोनिल (धातु के) कार्बन मोनो-ऑक्साइड से संयोजित धातु के योगिक हैं। इनमें अति महत्वपूर्ण निकल कार्बोनिल है जिसे पहले पहल मॉड, लैंगर और क्विंके ने ज्ञात किया। उसके बाद ही दूसरी धातुओं, विशेषकर लोहा, कोबाल्ट, रूथेनियम इत्यादि, के कार्बोनिल बनाए गए। इस श्रेणी के कुछ यौगिक उद्योग में प्रयुक्त होने के कारण अधिक मात्रा में बनाए जाते हैं। साधारणतया सूक्ष्म रूप से विभाजित धातु पर कार्बन मोनोक्साइड गैस की प्रत्यक्ष क्रिया से कार्बोनिल प्राप्त होता है। अधिकतर उच्च दाब की गैस तथा ताँबे या चाँदी की उपस्थिति का प्रयोग होता है। विशेष परिस्थितियों में अन्य विधियों का भी उपयोग होता है। भारी धातुओं के महत्वपूर्ण कार्बोनिल अपने गुणधर्म के अनुसार दो भागों में विभक्त किए जा सकते हैं। पहला वाष्पशील पदार्थ जो बेज़ीन ऐसे अध्रुवीय विलायक में विलेय है, जैसे निकल का टेट्रा-कार्बोनिल Ni (C O)4 तथा लोहा, रूथेनियम और आसमियम के पेंटाकार्बोनिल तथा दूसरे अवाष्पशील ठोसपदार्थ, जैसे लोहा तथा रूथेनियम के नोनाकार्बोनिल और कोबाल्ट, इरीडियम इत्यादि के कार्बोनिल।