कार्बन यौगिकों की संख्या उन सभी तत्वों से अधिक होती है, जिन्हें अन्य
तत्वों द्वारा एक साथ रखा जाता है। दो कारण बताकर कथन का औचित्य
सिदध कीजिए।
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Explanation:
हरियाणा बोर्ड्स के लिए
अध्याय 2. परमाणु की संरचना
परिचय
परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है, जो उस तत्त्व की रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है। अब से लगभग 100 वर्षों पहले तक डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार परमाणु को अविभाज्य (Injectable) माना जाता रहा था लेकिन अब यह सिद्ध हो चुका है कि परमाणु विभाज्य है तथा यह इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों से मिलकर बना होता है। अत: किसी तत्व के मौलिक कण (fundamental particles) उसके परमाणु नहीं होते हैं अपितु सभी पदार्थों के मौलिक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होते है। रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु लगभग अविभाज्य रूप में भाग लेता है तथा उसका स्वरूप नष्ट नहीं होता है। एक ही प्रकार के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है तथा भिन्न प्रकार के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या में अन्तर होता है। परमाणु के विभाजित होने पर प्रायः कुछ अन्य कण जैसे कि पाजिट्रॉन, न्यूट्रिनो, एंटीन्यूट्रिनो और मेसॉन आदि भी प्राप्त होते हैं। लेकिन परमाणु संरचना में इन कणों का महत्त्व बहुत कम है क्योकि ये कण अस्थायी होते है। परमाणु के मूल कणों के ग्राम में द्रव्यमान यह स्पष्ट करते हैं कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन अति सूक्ष्म कण है। इतने छोटे कणों के द्रव्यमान के लिए ग्राम उपयुक्त इकाई (unit) नहीं है इन कणों के द्रव्यमान के अनुरूप इकाई परमाणु द्रव्यमान इकाई (atomic mass unit, amu या u) है। परमाणु के मूल कणों के आपेक्षिक द्रव्यमान यह प्रदर्शित करते है कि प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के द्रव्यमान लगभग बराबर होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में नगण्य (negligible) होता है।
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के आवेश परिमाण में समान तथा प्रकृति में विपरीत होते है। इलेक्ट्रॉन का आवेश -1.603×10-19 कूलॉम तथा प्रोटॉन का आवेश +1.603×10-19 कूलाम होता है। चूँकि इनसे कम आवेश किसी भी कण पर नहीं पाया गया है; अतः इनके आवेश को क्रमशः इकाई ऋणावेश