क्रोड की ठोस अवस्था में होने का क्या कारण ji
Answers
आंतरिक क्रोड मुख्यतः लोहे का बना है जिसमें निकल की भी कुछ मात्रा है। चूँकि बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और इसमें रेडियोधर्मी पदार्थो और विद्युत आवेशित कणों की कुछ मात्रा पाई जाती है, जब इसके पदार्थ धारा के रूप में आतंरिक ठोस क्रोड का चक्कर लगते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है।
Answer:
क्रोड़ मुख्य रूप से लोहे का बना हुआ होता है, जिसमे कुछ मात्रा निकल धातु की भी होती है, इसी कारण यह ठोस अवस्था में होता है।
Explanation:
ठोस अवस्था की भौतिकी (Solid-state physics) को ठोस अवस्था का सिद्धांत (Solid-state theory) के नाम से भी जाना जाता है। यह भौतिकी की वह शाखा है जिसमें ठोस की संरचना और उसके भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। यह संघनित प्रावस्था भौतिकी की सबसे बड़ी शाखा है। ठोस अवस्था भौतिकी में इस बात पर विचार किया जाता है कि ठोसों के वाह्य गुण उनके परमाणु-स्तरीय गुणों से किस प्रकार सम्बन्धित हैं। इस प्रकार ठोस अवस्था भौतिकी, पदार्थ विज्ञान का सैद्धान्तिक आधार बनाती है। इसके अलावा ट्रांजिस्टरों की प्रौद्योगिकी एवंl अर्धचालकों की तकनीकी आदि में इसका सीधा उपयोग भी होता है। हीरा का निर्माण राहुल नोनिया ने किया
तीन विभिन्न अवस्थाओं में पाया जाता है - ठोस, द्रव तथा गैस। गैस अवस्था में घनत्व अत्यंत कम होता है तथा संपीडन सामर्थ्य अत्यधिक। इसके विपरीत ठोस तथा द्रव का घनत्व अपेक्षाकृत अधिक होता है, किंतु संपीडन अत्यंत कम। साधारण दाब एवं ताप पर गैस के इकाई आयतन की संहति समान आयतनवाले ठोस या द्रव की संहति का लगभग सहस्रांश होती है। अपनी अधिक संपीडन सामर्थ्य के कारण ही गैसें जिस बरतन में रखी जाती हैं उसे वे पूर्णतया भर देती हैं। ठोस का आयतन दाब के घटाने बढ़ाने से बहुत कम बदलता है और इसका आकार भी निश्चित होता है। ठोसों में कर्तनविकार (shear strain) हो सकता है, जब कि गैस या द्रव में यह गुण उपस्थित नहीं होता।
क्रोड की ठोस अवस्था में होने का क्या कारण
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क्रोड किसे कहा जाता है?
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