India Languages, asked by sanjeevpatelvns, 9 months ago

कीर के कागर ज्यौं नृपचीर, विभूषन उप्पम अंगनि पाई।
औध तजी मगबास के रूख ज्यौं, पंथ के साथी ज्यों लोग-लुगाई।।
संग सुंबंधु, पुनीत प्रिया, मनो धर्म क्रिया धरि देह सुहाई।
राजिवलोचन रामु चले तजि बाप को राज बटाऊ की नाईं।।
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पुर तें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मग में डग द्वै।
झलकी भरि भाल कनी जल की, पुटि सूखि गए मधुराधर वै।।
फिरि बूझति हैं, चलनो अब केतिक, पर्नकुटी करिहौं कित वै?
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै।। explain it

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Answered by jahnvi1208
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