क) राम-रूप राकेस निहारी, बढ़त बीचि
पुलकावति भारी।
वही उठती उर्मियों-सी, शैलमालाएँ।
12) कहें लगि कहाँ बनाइ विविध विधि।
45) सूर समर करनी करहिं।।
दृग
-
पग
पोहन
को
करें
भूषण
पायंदाज
।
जितने
तुमने
तारे
उतने
नहीं
गगन
में
तारे
हैं
।
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What the question I can't understand it
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